‘अगर कॉन्ग्रेस के खिलाफ मतदान नहीं किया तो हो जाओगे अयोग्य’ – BSP की ‘माया’ से राजस्थान की राजनीति में फँसा पेंच

मायावती का गहलोत पर वार

राजस्थान की राजनीति में अब कॉन्ग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। दरअसल, लंबे समय से चल रहे सियासी ड्रामे के बाद अब वहाँ बहुजन समाज पार्टी ने कॉन्ग्रेस के लिए एक नया पेंच फँसाया है। प्रदेश में बीएसपी ने अपने 6 नेताओं को विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी कॉन्ग्रेस के ख़िलाफ़ मतदान करने के लिए व्हिप जारी किया है।

बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने एक बयान में कहा, “सभी 6 विधायकों को अलग-अलग नोटिस जारी करके सूचित किया गया कि चूँकि बसपा एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी है और संविधान की दसवीं अनुसूची के पारा चार के तहत पूरे देश में हर जगह समूची पार्टी (बसपा) का विलय हुए बगैर राज्य स्तर पर विलय नहीं हो सकता है।” मिश्रा ने कहा कि अगर 6 विधायक पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर मतदान करते हैं, तो वे विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाएँगे।

https://twitter.com/ANI/status/1287430246472364034?ref_src=twsrc%5Etfw

नोटिस में आगे कहा गया है कि वे बसपा के व्हिप का पालन करने के लिए आबद्ध हैं और ऐसा नहीं करने पर वे विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य हो जाने के पात्र होंगे। मिश्रा ने कहा कि बसपा राजस्थान उच्च न्यायालय में अयोग्यता की लंबित याचिका में हस्तक्षेप करेगी या अलग से रिट याचिका दायर करेगी।

यहाँ बता दें कि बसपा ने जिन 6 विधायकों को व्हिप जारी कर अपना फरमान सुनाया है, उनमें उदयपुरवटी विधायक आर गुधा; करौली के लखन सिंह; खेरिया से दीपचंद; नदबई के जेएस अवाना; तिजारा के संदीप कुमार और नागर के वाजिद अली शामिल हैं। इन सभी ने साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में बसपा की टिकट पर जीत हासिल की थी।

बाद में पार्टी ने कॉन्ग्रेस के साथ गठजोड़ कर लिया और ये 6 नेता भी कॉन्ग्रेस से जुड़ गए। स्वयं विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने इस बात की जानकारी सबको दी थी। मगर, अब बसपा चाहती है कि उनकी पार्टी से चुनाव लड़ कर जीतने वाले विधायक सत्ताधारी पार्टी के शक्ति परीक्षण में समर्थन न दें।

बसपा के राष्ट्रीय सचिव सतीश चंद्रा ने बताया बसपा प्रमुख मायावती ने राज्य की वर्तमान स्थिति पर एक प्रेस नोट जारी किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि जब लोग महामारी के कारण पीड़ित हैं, तो दूसरी ओर, सरकार अपने विधायकों को लोक कल्याण के लिए काम करने देने के बजाय पाँच सितारा होटल में बंद कर रही है। बीएसपी का मानना ​​है कि राज्य की मौजूदा स्थिति को देखते हुए राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय सचिव ने इस दौरान ये भी कहा कि ऐसा पहली बार हुआ कि कोई मुख्यमंत्री ही राजभवन में प्रदर्शन करने पहुँच गया। इसलिए, इससे यह साबित होता है कि राज्य में न्याय व्यवस्था प्रभावित है। प्रदेश के राजयपाल को इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए और बिना किसी विलंब के राजनैतिक संकट और कोरोना के मद्देनजर यहाँ राष्ट्रपति शासन लागू कर देना चाहिए।

गौरतलब है कि साल 2019 में बसपा के कॉन्ग्रेस के साथ जुड़ने से अशोक गहलोत सरकार को अच्छी मजबूती मिली थी। नतीजतन 200 सदस्यीय विधानसभा में उनकी संख्या बढ़कर 107 हो गई थी। लेकिन अब ऐसी निर्देशों से उन पर संकट गहरा सकता है।

बता दें कि रविवार को बसपा द्वारा जारी व्हिप से पहले इस मामले के संबंध में एक भाजपा विधायक ने याचिका दायर करते हुए इन विधायकों के कॉन्ग्रेस में विलय को रद्द करने का अनुरोध किया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया