विधायक खरीदने के मामले में फँसे कॉन्ग्रेस नेता पूर्व CM हरीश रावत, FIR दर्ज

सीबीआई के घेरे में हरीश रावत

केंद्रीय जाँच एजेंसी सीबीआई ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ हॉर्स ट्रेडिंग से जुड़े मामले में FIR दर्ज कर ली है। पिछले महीने के अंत में (30 सितंबर, 2019 को) उसे उत्तराखंड के हाई कोर्ट ने इस मामले में कॉन्ग्रेस के नेता के खिलाफ FIR की इजाज़त दे दी थी। उसके बाद से ही सीबीआई के अगले कदम पर सबकी निगाहें टिकीं थीं। इसके पहले एजेंसी ने रावत के खिलाफ प्राथमिक जाँच कर उसकी रिपोर्ट अदालत में जमा की थी।

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2016 में रावत का एक विवादस्पद वीडियो सामने आया था, जो सोशल मीडिया पर ख़ासा चर्चित हुआ था। उसकी वजह से कॉन्ग्रेस को भी शर्मिंदगी और असहजता का सामना करना पड़ा था। इसमें रावत अपनी कुर्सी बचाने के लिए विधायकों का समर्थन ‘खरीदते’ देखे जा सकते थे। वे विधायकों का समर्थन पाने के लिए उनसे ‘डील’ कर रहे थे। ये वह विधायक हैं जो उनकी पार्टी से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए थे।

सीबीआई ने अपनी FIR में हरीश रावत के अलावा जिन लोगों को नामजद किया है वे हैं पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक रावत, और समाचारपत्र ‘समाचार प्लस’ के सम्पादक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) उमेश शर्मा। इसके अलावा केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने तहरीर में कुछ अन्य ‘अनाम’ लोगों को भी सूचित किया है।

हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई की FIR का अंश

यह वीडियो उस समय बाहर आया था जब रावत की कॉन्ग्रेस राज्य सरकार फ्लोर टेस्ट में असफल रही थी। इसके बाद राज्य को राष्ट्रपति शासन के अंतर्गत डाल दिया गया था। कालांतर में हरीश रावत एक बार फिर मुख्यमंत्री बने और उन्होंने अपने खिलाफ चल रहे मामले को खत्म करने की कोशिश की। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को प्रस्ताव भेजा कि उनके खिलाफ चल रही सीबीआई स्तर की जाँच वापिस ले ली जाए। उन्होंने बदले में राज्य पुलिस के विशेष जाँच दल (SIT) से अपनी जाँच शुरू कराने के लिए प्रस्तुत होने की भी बात कही। लेकिन मोदी सरकार ने इस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया