सबरीमाला के पास की 5 एकड़ जमीन चर्च के कब्जे में, हिंदुओं की आस्था पर केरल सरकार की चोट

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

केरल की कम्युनिस्ट सरकार की कथित मदद से ईसाई चर्च पर अब सबरीमाला मंदिर से जुड़े ‘पवित्र वनों’ का अतिक्रमण करने का आरोप लगा है। न्यूज़ पोर्टल ऑर्गनाइज़र के अनुसार, केरल में इस स्थान को ‘पूनकवनम’ कहा जाता है।

ऑर्गनाइज़र के अनुसार, मलयालम अख़बार जन्मभूमि की एक ख़बर बताती है कि इडुक्की ज़िले के सबरीमाला जंगलों के एक हिस्से पांचालिमेडु के पास वनभूमि का बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत इस पूरे क्षेत्र को ऐसा माना गया था जिसे पारिस्थितिक रूप से संरक्षण की आवश्यकता है।

पांचालिमेडु (Panchalimedu), स्थानीय हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है, जिसका नाम पांचाली/ द्रौपदी के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि 12 साल के वनवास के दौरान वो पांडवों का निवास स्थान था। त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड के तहत एक प्राचीन भुवनेश्वरी मंदिर भी अतिक्रमित भूमि के पास स्थित है। ऐसा माना जाता है कि चर्च कथित तौर पर राज्य के समर्थन से कब्ज़ा करके सरकार और वनभूमि को ज़ब्त करने की अपनी सामान्य रणनीति को दोहरा रहा है।

चिंताजनक मुद्दा यह है कि चर्च ने पहले से ही एक बोर्ड स्थापित कर रखा है और वन क्षेत्र में एक आर्कियन भी है जो यह दावा करता है कि यह स्थान ईसाई तीर्थस्थल है। रिपोर्टों से पता चलता है कि इसका केंद्र बिंदु सबरीमाला मंदिर है, जो पिछले सात वर्षों से धर्मांतरण लॉबी के रडार पर है।

चार दशक पहले, ईसाई संगठनों ने नीलक्कल में सबरीमाला भूमि को हड़पने का प्रयास किया था, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने 57 A.D में यीशु के प्रचारक संत थॉमस द्वारा स्थापित एक पत्थर का पता लगाया था। पुजारी (ईसाई) ने साइट पर एक ईसाई चर्च बनाने का प्रस्ताव पेश करते हुए अपने दावे पर ज़ोर दिया। इस पर हिंदुओं के कड़े विरोध के बावजूद, सरकार ने कैथोलिक चर्च को लगभग 5 एकड़ जमीन मुफ़्त में सौंप दी।

केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने इस मुद्दे पर अनिश्चित रूप से अब तक चुप्पी साधे रखी है, जबकि सबरीमाला के विरोध के दौरान यह बात स्पष्ट हो गई थी कि यह मुद्दा हिंदुओं से जुड़ा हुआ है। कथित तौर पर, मुन्नार में Pappathichola से इसी तरह के अतिक्रमण की सूचना मिली है, लेकिन राजस्व अधिकारियों ने इसे हटा दिया। इतना होने के बावजूद, राज्य सरकार ने एक बार फिर से अपने क़दम आगे बढ़ाए और मुख्यमंत्री विजयन व अन्य सीपीएम नेताओं के हस्तक्षेप के बाद वहाँ क्रॉस को फिर से स्थापित कर दिया गया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया