क्या पंजाब में अलगाववादी राजनीति की शुरुआत हो गई? पठानकोट हमले को लेकर CM भगवंत मान के दावे पर लोगों ने लगाई लताड़

पंजाब के सीएम भगवंत मान (फोटो साभार: हिंदुस्तान टाइम्स)

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Punjab CM Bhagwant Mann) ने हाल में में विधानसभा में दावा किया कि पठानकोट एयरबेस पर हमले के बाद उन्हें केंद्र सरकार की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें ऑपरेशन के लिए भेजी गई सेना पर हुए खर्च की भरपाई के लिए 7.5 करोड़ रुपए की माँग की गई थी।

मान ने कहा कि पत्र के बाद वह तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) से मिलने गए और उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया था। मान ने कहा, “मैंने राजनाथ जी से कहा कि मेरे और मेरे सहयोगी साधु सिंह के सांसद निधि से पैसे काट लें, लेकिन मुझे लिखित में दें कि आपने पंजाब को सेना किराए पर दी है और राज्य देश का हिस्सा नहीं है।”

दिलचस्प बात यह है कि सीएम मान के दावे तथ्यात्मक रूप से गलत प्रतीत होते हैं। पहली साल 2016 में भगवंत मान पंजाब के संगरूर निर्वाचन क्षेत्र से केवल संसद सदस्य थे। अगर केंद्र सरकार पंजाब सरकार से कोई पत्राचार करती तो वह किसी सांसद को पत्र नहीं भेजती, वह मुख्यमंत्री या गृह सचिव को भेजती। दूसरी बात यह है कि राजनाथ सिंह तब गृहमंत्री थे और सेना रक्षा मंत्रालय के अधीन आती है। इसलिए, सेना के मामले में उनसे मिलने से कोई फायदा नहीं होगा।

तीसरा बिंदु इस तथ्य से संबंधित है कि केंद्र सरकार किसी भी राज्य में अर्धसैनिक बलों को भेजने के बदले उससे शुल्क लेती है। केंद्रीय सशस्त्र बलों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के कर्तव्यों के लिए राज्यों द्वारा शुल्क वहन किया जाता है और पंजाब कोई अपवाद नहीं है। वर्तमान में गृह मंत्रालय उन राज्यों से प्रति वर्ष लगभग 13 करोड़ रुपए वसूलता है, जहाँ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) तैनात है। ‘अत्यधिक जोखिम’ और बेहद ‘कठिनाई’ वाले क्षेत्रों में सीएपीएफ की तैनाती के लिए केंद्र सरकार प्रति वर्ष लगभग 34 करोड़ रुपए शुल्क लेती है।

इस तरह की सोच अलगावाद की ओर झुकाव का इशारा: बोले नेटिजन्स

सीएम मान की इस टिप्पणी पर कई सोशल मीडिया यूजर्स ने प्रतिक्रिया दी। एक ट्विटर यूजर ने बयान को अलगाववादी टिप्पणी बताते हुए लिखा, “अब मुझे एहसास हुआ कि जम्मू के कुछ ट्विटर यूजर्स इस पार्टी का समर्थन क्यों कर रहे हैं। बेशक, इस प्रकार का व्यवहार उनके समर्थकों के इरादों के अनुरूप है।”

एक लोकप्रिय ट्विटर यूजर theskindoctor13 ने कहा कि क्या सही है या गलत पर बहस की जा सकती है, लेकिन पंजाब की तरह अन्य राज्यों में भी सीएपीएफ की तैनाती के लिए शुल्क लिया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के भाषण अलगाववादी भावनाओं को भड़काते हैं।

एक अन्य यूजर ने कहा, “AAP का एजेंडा सामने आ ही गया। पंजाब को भारत से अलग करने का पूरा प्लान बना रखा है केजरीवाल ने। शुरुआत हो चुकी है।”

एक यूजर ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा, “जैसा कि मैंने पहले ही कहा था कि पंजाब में आप(AAP) का सरकार बनाना आईएसआई (पाकिस्तान की खुफिया एजेेंसी) की जीत है। यह अलगावादी खालिस्तान आंदोलन को एक अलग स्तर पर ले जाएगा। इन जोकरों ने अपनी असली मंशा दिखाने से पहले एक महीने भी इंतजार नहीं किया।”

गौरतलब है कि पंजाब सरकार को 2 जनवरी से 27 जनवरी के बीच पठानकोट और आसपास के इलाकों में अर्धसैनिक बलों के जवानों की 20 कंपनियों की तैनाती के बदले भुगतान का अनुरोध करते हुए एक बिल जारी किया गया था। आतंकी हमले के दौरान एयरबेस को मजबूत करने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 11 कंपनियाँ और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 9 कंपनियों को तैनात किया गया था। पंजाब सरकार को 6,35,94,337 रुपए का बिल भेजा गया था, जिसका भुगतान करने से उसने इनकार कर दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया