‘हिन्दुओं का नरसंहार करने वाले मोपला को अब भी मिल रही पेंशन, हैदर के आक्रमण से 50% हिन्दुओं का पलायन’: CM योगी ने किया याद

सीएम योगी आदित्यनाथ ने मोपला हिन्दू नरसंहार को किया याद (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केरल में हुए मोपला नरसंहार की 100वीं बरसी पर आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए याद किया कि कैसे जिहादी तत्वों ने हिन्दुओं का नरसंहार किया था। उन्होंने कहा कि ये नरसंहार योजनाबद्ध तरीके से कई महीनों तक चला, जिसमें 10,000 हिन्दुओं की हत्या हुई, माताओं-बहनों का शीलभंग हुआ और मंदिरों को तोड़ा गया। सीएम योगी ने इसे जमींदारों के विरुद्ध आक्रोश बताए जाने पर भी आपत्ति जताई।

उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण के कारण इतिहास को बदल दिया गया, जिसे तत्कालीन सत्ताधीशों का संरक्षण दिया। उन्होंने बाबसाहब भीमराव आंबेडकर और वीर विनायक दामोदर सावरकर को भी याद किया, जिन्होंने अपने पुस्तकों में इस नरसंहार की वीभत्सता का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य की धरती पर हिन्दुओं की रक्षा के लिए गुरु गोरखनाथ के अनुयायी भी आए थे। उन्होंने कहा कि गोरखनाथ के अनुयायियों के मालाबार के हिन्दुओं पर बड़े उपकार हैं।

इस अवसर पर RSS विचारक जे नंदकुमार ने ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ का जिक्र करते हुए कहा कि हम कैसे स्वाधीन हुए, जिसके पीछे जितने वीर नायक-नायिका थे उन सबकी गाथा हम फिर से सुनेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ इतिहासकारों ने सही इतिहास लिखने का प्रयास किया ज़रूर, लेकिन सही इतिहास आज भी पढ़ने को नहीं मिलता। उन्होंने इतिहास को ठीक परिप्रेक्ष्य में समाज के सामने रखने पर जोर दिया।

इस दौरान उन्होंने बड़ा खुलासा किया कि हिन्दुओं का नरसंहार करने वाले मोपला मुस्लिमों व उनके वंशजों को अब भी ‘स्वतंत्रता सेनानी’ बताते हुए उन्हें कॉन्ग्रेस व वामपंथी सरकारों द्वारा पेंशन भी दिया जा रहा है, जो हमारे टैक्स के पैसों से जाता है। उन्होंने कहा कि 100 वर्ष बाद इसे याद करने की वजह ये है कि हम इससे सीखेंगे नहीं तो इतिहास खुद को दोहराता है। उन्होंने जिक्र किया कि कैसे इस्लामी ताकतों ने अलग-अलग देशों में दंगे किए, जिसकी पुनरावृत्ति अब देखने को मिल रही है।

उन्होंने इसका भी जिक्र किया कि कैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘खिलाफत 2.0’ जैसे कार्यक्रम हो रहे हैं और तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यब एर्डोगन को ‘एकमात्र आशा’ बताई जा रही है। उन्होंने CAA विरोध के दौरान इस्लामी कट्टरता और केरल में मोपला मुस्लिम नरसंहारकों की वर्दी में निकली यात्रा का भी जिक्र किया। इसमें नारा लगाया गया था कि हमने 1921 में जो तलवार उठाया था, वो अब भी हमारे हाथ में है और हमने उसे समुद्र में फेंका नहीं है।

उन्होंने ‘लव जिहाद’ और ‘नारकोटिक्स जिहाद’ का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ भी अचानक नहीं हुआ था, बल्कि 1921 में जो हुआ उसका एक लंबा इतिहास है। उन्होंने केरल के बारे में ज्यादा विचार करने का जिक्र करते हुए कहा कि वहाँ मालाबार में 1766 में जब हैदर के नेतृत्व में मैसूर का आक्रमण हुआ था, तब से लेकर मुस्लिमों और नॉन-मुस्लिमों के बीच संघर्ष शुरू हो गया। हैदर का बेटा टीपू सुल्तान और क्रूर था, जिसके मालाबार से हिन्दुओं को भगाया।

उन्होंने जानकारी दी कि मालाबार से लगभग आधे हिन्दुओं को अपनी सारी संपत्ति छोड़ कर भागना पड़ा, ताकि वो अपनी जान और मान बचा सकें। टीपू सुल्तान की फ़ौज ने सांप्रदायिक हिंसा का नंगा नाच किया और विश्व की सबसे ज्यादा गुणवत्ता वाले चाय के उत्पादन को छोड़ कर हिन्दू भागे, जिसके बाद टीपू सुल्तान ने उन्हें मुस्लिमों में बाँट दिया। वहाँ के मुस्लिम जमींदार बन बैठे और उन्होंने अपना वर्चस्व स्थापित किया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया