10000 रुपए की कमाई पर कॉन्ग्रेस सरकार जमा करवा लेती थी 1800 रुपए: 1963 और 1974 में पास किए थे कानून, सालों तक नहीं मिलता था मेहनत का पैसा

प्रतीकात्मक चित्र (साभार: Generated From BingAI)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी के सम्पत्ति के सर्वे वाले बयान को लेकर हमला बोला है। राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव में यह वादा कर रहे हैं कि अगर वह सत्ता में आए तो लोगों की सम्पत्ति का सर्वे करेंगे और इसके बाद उसको दोबारा से देश में बाँटने पर भी विचार किया जाएगा। पीएम मोदी ने इसी को लेकर हमला बोला है कि कॉन्ग्रेस लोगों की गाढ़ी कमाई को जब्त करना चाहती है। पीएम मोदी ने एक जनसभा में कहा कि कॉन्ग्रेस महिलाओं के मंगलसूत्र तक का सर्वे करना चाहती है।

जहाँ पीएम मोदी कॉन्ग्रेस की नीति को लेकर हमले बोल रहे हैं तो वहीं लोग कॉन्ग्रेस सरकारों द्वारा लाए गए पुराने कानूनों को भी याद कर रहे हैं। अब ऐसे कानूनों के विषय में बहस छिड़ गई है जिनके अंतर्गत कॉन्ग्रेस सरकारों ने लोगों से जबरदस्ती उनकी मेहनत की कमाई ली। कॉन्ग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने 1960 और 1970 के दशक में कानून पास करके भारतीयों को इस बात के लिए विवश किया था कि वह अपनी कमाई का एक हिस्सा सरकार के पास जमा कर दें। यह 3-5 वर्ष तक सरकारी खजाने में जमा रहता।

जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गाँधी की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस सरकारों ने लोगों की कमाई जब्त करने वाले ऐसे ही कानून 1963 और 1974 में पास किए थे। इनका नाम कम्पलसरी डिपाजिट स्कीम एक्ट था। इसके अंतर्गत सभी करदाताओ, सम्पत्ति धारकों और सरकारी कर्मचारियों को अपनी कमाई का 18% सरकार के पास जमा करना होता था। जमा की धनराशि 3-5 वर्ष तक के लिए सरकारी खजाने में रहती थी। हैरानी की बात यह है कि जब 1974 में यह कानून लाया गया था, तब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्य आर्थिक सलाहकार हुआ करते थे।

यह बात ध्यान देने वाली है कि लोगों की कमाई का एक हिस्सा जब्त करने वाला कानून ऐसे व्यक्ति के समय में लाया गया जिसे देश में आर्थिक सुधारों का श्रेय दिया जाता है। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि यह कानून देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए लाया गया था। जहाँ आज की सरकार लोगों की कमाई बढ़ा कर देश को सशक्त करना चाहती है, वहीं कॉन्ग्रेस सरकारें लोगों की कमाई जब्त करके देश का विकास करना चाहती थीं।

इन कानूनों के तहत सरकार को यह ताकत भी थी कि वह इस बात पर निर्णय ले कि किसका पैसा कितने दिन रखा जाए, किसको कब पैसा वापस दिया जाए। इसको लेकर सोशल मीडिया पर कॉन्ग्रेस की काफी आलोचना भी हो रही है। सोशल मीडिया यूजर्स ने राहुल गाँधी की इस योजना को नकारते हुए उन पर हमला बोला है।

Paurush Gupta: Proud Bhartiya, Hindu, Karma believer. Accidental Journalist who loves to read and write. Keen observer of National Politics and Geopolitics. Cinephile.