कॉन्ग्रेस (Congress) की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री बनने के बाद डॉक्टर मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) ने भले ही 1984 के सिख दंगों (1984 Anti Sikh Riots) में कॉन्ग्रेस की भूमिका के लिए माफी माँग ली हो, लेकिन कॉन्ग्रेस पार्टी को इस नरसंहार से कोई खास शर्मिंदगी नहीं है। इसकी बानगी है सिख नरसंहार के आरोपित जगदीश टाइटलर (Jagdish Tytler) पर पार्टी का विश्वास।
कॉन्ग्रेस ने टाइटलर को दिल्ली नगर निगम-2022 के चुनावों के लिए प्रदेश चुनाव समिति का सदस्य बनाया है। इतना ही नहीं, मल्लिकार्जुन खड़गे के पार्टी का नया अध्यक्ष चुने जाने के बाद हुई बैठक में भी टाइटलर शामिल हुए। इसका फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी सिख विरोधी दंगों के आरोपितों को संरक्षण देने के लिए गाँधी परिवार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा था, “गाँधी परिवार ने सिखों के हत्यारे टाइटलर को खड़गे जी के शपथ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करके एक फिर से ये साबित कर दिया कि वे टाइटलर, कमलनाथ जैसों को सुरक्षा व सम्मान देते रहेंगे। इन्हीं कातिलों की मदद से गाँधी परिवार ने 1984 सिख हत्याकांड को अंजाम दिया और आज तक इन लोगों को उसका इनाम दिया जा रहा है।”
गुरुनानक जयंती (8 नवंबर 2022) को इंदौर के खालसा कॉलेज में बुलाकर सम्मानित करने पर बवाल हो गया था। कमलनाथ को सम्मानित करने पर कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी नाराज हो गए। उन्होंने हजारों लोगों की उपस्थिति में समाज के सचिव जसबीर सिंह गाँधी उर्फ राजा गाँधी को लताड़ दिया। कानपुरी ने कहा, “शर्म करो गाँधी। जिसने हजारों सिखों के घर बर्बाद कर दिए, जो 1984 के सिख दंगों का दोषी है, उसके तुम गुणगान कर रहे हो।”
मनप्रीत सिंह ने कहा कि 1984 में जिस व्यक्ति के कहने पर हजारों सिखों का कत्ल कर दिया गया, दुकानें जला दी गईं, माताओं-बहनों की इज्जत पर हाथ डाला गया, उस व्यक्ति का सिखों द्वारा सम्मान किया जा रहा है। सिंह ने कहा, “मैं वाहे गुरु गोविंद सिंह की सौगन्ध खाकर कहता हूँ कि अब कभी इंदौर नहीं आऊँगा।”
बता दें कि साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में सिखों के खिलाफ हिंसा शुरू हो गई थी। इसमें टाइटलर और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी आरोपित हैं। वहीं, एक अन्य कॉन्ग्रेस नेता सज्जन कुमार भी आरोपितों में शामिल हैं।
कॉन्ग्रेस के पूर्व सांसदों में से एक जगदीश टाइटलर ने सीएनएन आईबीएन को बताया था कि उन्होंने इंदिरा गाँधी की मृत्यु के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के साथ दिल्ली का दौरा किया था। उनके अनुसार, तब दिल्ली में चारों ओर शांति का माहौल था। सीएनएन न्यूज के मुताबिक, अकाली दल और बीजेपी ने टाइटलर की आलोचना करते हुए उनसे सवाल किया कि क्या राजीव गाँधी भी अशांति फैलाने में शामिल थे।
नानावती आयोग के मुताबिक, दंगा कराने वालों लोगों में कॉन्ग्रेस के पूर्व सांसद जगदीश टाइटलर भी शामिल थे। आरोपित जगदीश टाइटलर ने लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने से भी इनकार कर दिया था। 1984 के सिख विरोधी दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद भड़के थे। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, इस दंगे में 2800 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि देशभर में मरने वालों का आँकड़ा करीब 3500 था।
इस केस में कॉन्ग्रेस नेता सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर पर भारत में 1984 के सिख विरोधी दंगों को भड़काने में सीधी भूमिका का आरोप लगाया गया था। सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा मिली है। वहीं, अन्य आरोपित बलवान खोकर, भागमल और गिरधारी लाल को उम्रकैद की सजा मिली, जबकि महेंद्र यादव और किशन खोकर को 10 साल की सजा दी गई। इन दंगों को लेकर इंदिरा गाँधी के बेटे और बाद में देश के प्रधानमंत्री बने राजीव गाँधी ने कहा था कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती ही है।
गौरतलब है कि कॉन्ग्रेस पार्टी की हमेशा से सिख विरोधी दंगों के आरोपितों को संरक्षण देने की नीति रही है। हिंसक भीड़ का नेतृत्व करने के आरोपित कॉन्ग्रेस के एक अन्य नेता कमलनाथ को 2018 में मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। इससे पहले, वह मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से नौ बार चुने गए और कई विभागों को संभाला। कमलनाथ पर 1 नवंबर 1984 को गुरुद्वारा रकाबगंज पर हिंसक भीड़ के हमले का नेतृत्व करने का आरोप है, जिसमें भीड़ ने दो सिखों, एक पिता और एक बेटे को जिंदा जलाकर मार डाला था।