दिल्ली में समाधि-समाधि घूमे राहुल गाँधी, लेकिन हैदराबाद जाकर भी नरसिम्हा राव को नहीं दी श्रद्धांजलि: अब सुरक्षा का हवाला दे कर रही बचाव

सोनिया गाँधी के साथ राहुल और नरसिम्हा राव (साभार: इंडिया टुडे)

तेलंगाना कॉन्ग्रेस ने राहुल गाँधी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री और कॉन्ग्रेस के दिवंगत नेता पीवी नरसिम्हा राव (PV Narsimha Rao) को श्रद्धांजलि नहीं देने का बचाव किया है और कहा कि सुरक्षा कारणों से उन्होंने ऐसा नहीं किया था। यह भी अब दलील दी जा रही है कि राहुल गाँधी नरसिम्हा राव की प्रतिमा के पास जाना चाहते थे।

तेलंगाना कॉन्ग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष महेश गौड़ ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गाँधी हैदराबाद में राव की को श्रद्धांजलि देना चाहते थे, लेकिन भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस ने ऐसा करने से मना किया था।

इसके पहले दिवंगत राव के पोते और भाजपा नेता एनवी सुभाष (NV Subhash) ने राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) को जानबूझकर नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हैदराबाद पहुँचने पर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि नहीं दी। उन्होंने यह भी कहा कि कॉन्ग्रेस में गैर-गाँधी प्रधानमंत्री को पर्याप्त सम्मान नहीं दिया जाता।

उन्होंने आरोप लगाया था कि कॉन्ग्रेस में गैर-गाँधी नेताओं की सेवा को महत्व नहीं दिया जाता। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राव की मृत्यु के बाद कॉन्ग्रेस ने उन्हें सम्मान और विदाई नहीं दी। उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल और पीवी नरसिम्हा राव इसके उदाहरण हैं।

उधर महेश गौड़ राहुल गाँधी का बचाव करते हुए कहा कि नरसिम्हा राव कॉन्ग्रेस के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक थे। पार्टी ने उन्हें सर्वोच्च पद दिया और देश का प्रधानमंत्री बनवाया। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश के सभी नेताओं का सम्मान करती है।

बता दें कि साल नरसिम्ह राव को आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक माना जाता है, लेकिन उन्हें सम्मान देने की बात दो दूर कॉन्ग्रेस ने उन्हें कभी उनकी बरसी पर याद भी नहीं किया। नरसिम्हा राव के लिए कॉन्ग्रेस में उतना ही आदर है, जितना की कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी के लिए था।

नरसिम्हा राव और सोनिया गाँधी के रिश्ते कभी सहज नहीं रहे। कहा जाता है कि दोनों के बीच 36 का आँकड़ा रहा। यही कारण था कि जब राव की मौत हुई तो अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह उनके लिए दिल्ली में जगह नहीं आवंटित की गई और उनके परिवार को कहा गया कि उनका अंतिम संस्कार तत्कालीन संयुक्त तमिलनाडु में करे।

विनय सीतापति ने अपनी किताब ‘द हाफ लायन’ में नरसिम्हा राव और उस दौरान कॉन्ग्रेस हाईकमान को लेकर विस्तार से जिक्र किया है। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का 23 दिसंबर 2004 को दिल्ली के AIIMS में 11 बजे निधन हो गया। राव के पार्थिव शरीर को उनके निवास स्थान 9 मोतीलाल नेहरू मार्ग पर लाया गया।

यहाँ तक कि तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने नरसिम्हा राव के छोटे बेटे प्रभाकर राव से कहा कि उनका अंतिम संस्कार में हैदराबाद में हो। शिवराज पाटिल की तरह ही उस समय के दिग्गज कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी राव के परिवार से शव को हैदराबाद ले जाने के लिए कहा था। आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी ने राव के परिवार से स्पष्ट दिया था कि पार्टी आलाकमान नहीं चाहता कि राव का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो।

हालाँकि, परिवार इसके लिए तैयार नहीं था। राव के शव को पार्टी मुख्यालय लाया गया, लेकिन कॉन्ग्रेस पार्टी का दरवाजा बंद कर दिया गया। कहा जाता है कि उस समय सोनिया गाँधी पार्टी कार्यालय में मौजूद थीं। राव का शव आधे घंटे तक पार्टी मुख्यालय के गेट बाहर एयरफोर्स की गाड़ी पर पड़ा रहा, लेकिन दरवाजा नहीं खोला गया। अंत में थक-हार कर परिवार शव को हैदराबाद लेने जाने के लिए एयरपोर्ट निकल गया।

अगर एक पार्टी के वरिष्ठ नेता की बात छोड़ भी दें तो नरसिम्हा राव को उनकी मौत के बाद पार्टी ने वह सम्मान भी नहीं दिया, जो एक प्रधानमंत्री को दिया जाना चाहिए था। राहुल गाँधी ने कॉन्ग्रेस की इसी ‘नेहरूवादी’ विरासत को आगे बढ़ाया और सड़क पर हुजूम के साथ भारत यात्रा करते रहे, लेकिन नरसिम्हा राव की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करने नहीं गए। इसमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गौड़ द्वारा सुरक्षा कारण बताया जाना, लोगों के गले नहीं उतर रहा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया