शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन कर परिजनों और पार्टी नेताओं संग फाइल किया MLC नॉमिनेशन

नॉमिनेशन फाइल करते महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र में कोरोना के फैलते प्रकोप के बीच राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर बता दिया कि उनके लिए राजनीति कितनी महत्तवपूर्ण है और सुरक्षा के लिहाज़ से बनाए गए नियम कानून कैसे सिर्फ़ मजाक की बात हैं।

दरअसल, एक ओर जहाँ महाराष्ट्र में कोरोना के आँकड़े हर दिन तेजी से बढ़ रहे हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे अपने परिवार व पार्टी नेताओं समेत 21 मई को होने वाले MLC चुनावों के लिए नॉमिनेशन फाइल करने पहुँचे।

इस दौरान उद्धव ठाकरे के साथ उनका बेटा आदित्य ठाकरे, पत्नी रश्मि ठाकरे, छोटा बेटा तेजस ठाकरे, शिवसेना के कार्यकर्ता और महा विकास अघाड़ी सरकार के वरिष्ठ नेता भी लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन कर मौक़े पर मौजूद रहे

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जानकारी के लिए बता दें कि महाराष्ट्र में कोरोना के मामले धीरे-धीरे करके अब विकाराल रूप ले चुके हैं और वर्तमान में कोरोना केसों की संख्या वहाँ 22 हजार का आँकड़ा पार कर गई है। ऐसे में इतने लोगों के बीच उद्धव ठाकरे की तस्वीर देखकर सोशल मीडिया पर भी लोग उनकी काफी आलोचना कर रहे हैं।

कॉन्ग्रेस को अल्टीमेटम भेज, ठाकरे ने फाइल किया नॉमिनेशन

आने वाले दिनों में राज्य में अपनी कुर्सी बचाने के लिए और राज्य को राजनैतिक संकट से उभारने की खातिर शिव सेना प्रमुख ने हाल ही में एमएलसी की दो सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कॉन्ग्रेस को अल्टीमेटम भेजा था।

इस अल्टीमेटम में सीएम ने कॉन्ग्रेस को उनका निर्णय सुधारने के लिए कहा था। उन्होंने इस बात की भी धमकी दी थी कि अगर कॉन्ग्रेस अपने किसी एक कैंडिडेट का नाम वापस नहीं लेती तो वे एमएलसी इलेक्शन में नॉमिनेशन नहीं भरेंगे।

शिवसेना की इस धमकी के बाद कॉन्ग्रेस पार्टी ने इसपर ध्यान दिया और महागठबंधन सहयोगियों के बीच बैठक के बाद कॉन्ग्रेस प्रमुख बालासाहेब थोराट ने घोषणा की कि उन्होंने इन चुनावों से अपने उम्मीदवार का नाम वापस लेने का फैसला किया है।

थोराट ने कहा, “हमने कैंडिडेट का नाम वापस लेने का निर्णय लिया। ये फैसला मुख्यमंत्री के अनुरोध पर आधारित है, ताकि चुनाव निर्विरोध हो सके। उनके अनुरोध और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वे चुनाव लड़ रहे हैं। हमने पीछे हटने का फैसला किया है।”

MLC नॉमिनेशन भरना क्यों था जरूरी?

पिछले साल लंबे नाटक के बाद उद्धव ठाकरे 27 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र की कुर्सी पर बतौर मुख्यमंत्री बैठे। मगर, उस समय वह राज्य विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं थे, इसलिए उन्हें 6 महीने के भीतर सदस्य बनना अनिवार्य था। पर लॉकडाउन के कारण उनकी कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा था।

ऐसे में महागठबंधन सरकार को राहत देने के लिए, चुनाव आयोग ने राज्यपाल कोश्यारी के अनुरोध पर ध्यान दिया और महाराष्ट्र में विधान परिषद के लिए चुनाव कराने पर सहमत हुए और आज जाकर उद्धव ठाकरे ने चुनावों के लिए नॉमिनेशन फाइल किया।

बता दें, हाल ही में ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य में राजनैतिक संकट पर अनुरोध किया था। जिसके बाद राज्यपाल कोश्यारी ने चुनाव आयोग को अगले दिन पत्र लिखा। उन्होंने अपने पत्र में इस बात पर ध्यान आकर्षित करवाया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे विधानमंत्री में किसी सदन के सदस्य नहीं है। इसलिए, उन्हें जरूरत है कि वे काउंसिल के लिए 27 मई से पहले निर्वाचित हों।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया