बंगाल में BJP को मिल रहा है CPM कैडर का गुपचुप साथ, CM ममता ने भी चेताया

बंगाल में भाजपा को मिल रहा सीपीएम कैडर का साथ

लोकसभा चुनाव अब लगभग अपने अंतिम चरण में है और अंतिम 2 चरणों के लिए सभी पार्टियाँ पूरा ज़ोर लगा रही हैं। बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहाँ सभी 7 चरणों में मतदान चल रहा है। अतः इन तीनों बड़े और चुनावी दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्यों में सियासी पारा अंतिम चरण का मतदान संपन्न होने तक गर्म ही रहेगा। जहाँ बिहार में अलग-अलग जाने के बाद फिर से साथ हुए नीतीश-भाजपा गठबंधन की अग्निपरीक्षा है, वहीं उत्तर प्रदेश में भाजपा पर अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। लेकिन, पश्चिम बंगाल में मुक़ाबला सबसे दिलचस्प है क्योंकि कभी वाम का गढ़ रहे इस क्षेत्र में आज ममता का राज है और हिंसा के मामले में तृणमूल के कार्यकर्ताओं ने वाम को भी पीछे छोड़ दिया है। लेकिन इस बार माहौल बदला-बदला सा है। प्रधानमंत्री मोदी, फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैलियों में बड़ी भारी भीड़ जुट रही है।

पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्षी दल सीपीएम अब तीसरे नंबर पर खिसक चुका है और धीरे-धीरे भाजपा बड़ी शक्ति बन कर उभर रही है। पूरे देश में वामपंथी और भाजपा एक-दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं और भाजपा के ख़िलाफ़ सभी वाम दल एकजुट हैं। केरल में संघ व भाजपा कार्यकर्ताओं की लगातार हत्याएँ हुई हैं और इसके पीछे वामपंथी कार्यकर्ताओं के हाथ सामने आते रहे हैं। लेकिन, पश्चिम बंगाल में ज़मीनी समीकरण कुछ और ही कहता है। यहाँ बूथ लेवल पर सीपीएम के कार्यकर्ता गुपचुप तरीके से भारतीय जनता पार्टी की मदद ही कर रहे हैं। सीपीएम कार्यकर्ताओं के इस कार्य के पीछे ममता बनर्जी और तृणमूल कॉन्ग्रेस के प्रति उनकी कट्टर विरोधी सोच है। जहाँ कॉन्ग्रेस बंगाल से लगभग साफ़ हो चुकी है और सीपीएम को लगातार आज़माने के बाद लोगों ने उसे उखाड़ फेंका, ऐसे में ममता विरोधी सीपीएम कैडर को भाजपा की मदद करने में यहाँ फायदा दिख रहा है।

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वामपंथी कार्यकर्ता भी अब ममता सरकार की दमनकारी नीतियों से ख़फ़ा हैं और वार्डों में घूम-घूम कर भाजपा की मदद कर रहे हैं, भाजपा उम्मीदवारों को ग्राउंड लेवल मैनेजमेंट में सहायता कर रहे हैं। सीपीएम के कार्यकर्ता अब भाजपा को नई उभरती शक्ति के रूप में देख रहे हैं, जो ममता सरकार को अपदस्थ कर सकती है – जो कम से कम बंगाल में उनकी दुश्मन नंबर एक है। उदाहरण के लिए कोलकाता उत्तर को ले लीजिए। यहाँ 1862 पोलिंग बूथ हैं। वर्तमान सांसद सुदीप बंदोपाध्याय को हराने के लिए भाजपा को यहाँ सीपीएम कार्यकर्ता मदद कर रहे हैं। भाजपा नेता बिना किसी नारे के, बिना किसी मीडिया कवरेज के, भाजपा संगठन के पदाधिकारी सीपीएम कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर के डोर-टू-डोर प्रचार-प्रसार अभियान में उनकी मदद ले रहे हैं।

भाजपा यहाँ भी त्रिपुरा वाला प्रयोग ही करने वाली है। त्रिपुरा में भी लम्बे समय से कार्यरत माणिक सरकार को हटाने के लिए भाजपा को सीपीएम कार्यकर्ताओं ने मदद की थी। ख़ुद माणिक सरकार ने इस बात को स्वीकार किया था। सीपीएम के बड़े नेता बंगाल में अपने कार्यकर्ताओं को यह सन्देश देकर बड़गलाने में लगे हैं कि तृणमूल से बचने के लिए भाजपा की तरफ मत देखिए क्योंकि त्रिपुरा में उन लोगों ने 14 महीने में ही तृणमूल से भी ज्यादा आतंक कायम कर दिया है। ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस बारे में नहीं पता। उन्होंने पहले ही एक रैली में अपने कार्यकर्ताओं को सीपीएम वर्कर्स के प्रति सावधान रहने के लिए कहा था और चेताया था कि वो (सीपीएम कार्यकर्ता) फिर से ऐसा कर रहे हैं, ‘दुश्मनों’ की मदद कर रहे हैं।

देश भर से साफ़ हो रही वामपंथी ताक़तों से उनके ख़ुद के कार्यकर्ताओं का विश्वास उठ रहा है। कभी त्रिपुरा और बंगाल सहित देश भर के कई इलाक़ों में बड़ी ताक़तें रहे ये दल अब सफाए के कगार पर खड़े हैं और कार्यकर्ताओं का विश्वास जीतने के लिए कोई बड़ा नेता फिलहाल मौजूद नहीं है। इसीलिए, सीपीएम कार्यकर्ताओं द्वारा बंगाल में भाजपा को मदद करना एक महत्वपूर्ण संकेत है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया