वक्फ बोर्ड की तरह दिल्ली महिला आयोग में भी भर्ती घोटाला? LG ने 223 कर्मचारियों को निकाला, 40 ही थे पद फिर भी स्वाति मालीवाल ने की बहाली

स्वाति मालिवाल-वीके सक्सेना (फोटो साभार : हिंदुस्तान टाइम्स)

दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली महिला आयोग के 223 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है। इनकी नियुक्तियाँ दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने गलत तरीके से की थी। दिल्ली महिला आयोग के पास सिर्फ 40 कर्मचारियों का कोटा है, लेकिन स्वाति मालीवाल ने नियमों को अनदेखा करते हुए बिना उपयुक्त मंजूरी के ही इनकी नियुक्ति की थी।

इस मामले का खुलासा वेतन देते समय हुआ था, जब एक महिला कर्मचारी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपना वेतन माँगा था। अब एलजी ने जाँच के बाद इस पर एक्शन लिया है और गलत तरीके से की गई सभी भर्तियों को रद्द कर दिया है। इस भर्ती घोटाले का समय 2016 का है, जब दिल्ली के वक्फ बोर्ड में भर्ती घोटाले को अंजाम दिया गया था। उस मामले में वक्फ बोर्ड के दो बार अध्यक्ष रहे ओखला से आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान को जेल भी जाना पड़ा था। वक्फ बोर्ड में 2016 में फर्जी नियुक्तियों के बाद 2019 में भी अवैध तरीके से 32 नियुक्तियाँ की गई थी।

वहीं, दिल्ली महिला आयोग में 223 लोगों को अवैध तरीके से भर्तियाँ की गई थी, जिन्हें दिल्ली के एलजी ने नौकरी से निकाल दिया है। दिल्ली प्रशासन द्वारा जारी एलजी के आदेश पत्र में सभी बिंदुओं को विस्तार से बताया गया है। इन कर्मचारियों को स्वाति मालीवाल द्वारा वित्त विभाग/दिल्ली एलजी की मंजूरी के बिना नियुक्त किया गया था। यही नहीं, दिल्ली महिला आयोग के पास इन 223 लोगों को संविदा कर्मचारियों के रूप में नियुक्त करने की शक्ति भी नहीं थी, और न ही इतनी नियुक्तियों की जगह ही थी। दिल्ली महिला आयोग अधिनियम द्वारा इस विभाग में 40 पदों का ही सृजन किया गया था। ऐसे में स्वाति मालीवाल ने नियमों को अनदेखा कर इनकी नियुक्तियाँ की थी।

इस मामले में दिल्ली महिला आयोग के जुड़े सचिव ने उन्हें चेताया भी था और स्वाति मालीवाल को बताया भी था कि वो बिना वित्त विभाग की मंजूरी के नियुक्तियाँ नहीं कर सकती। पहले इसके लिए पद का सृजन होना चाहिए। लेकिन स्वाति मालीवाल ने सलाह को दरकिनार करते हुए ये भर्तियाँ की। इन भर्तियों की शिकायत सचिव ने की थी, साथ ही ये मामला दिल्ली हाई कोर्ट में भी गया था, जब वेतन न मिलने पर एक महिला कर्मचारी ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

बता दें कि स्वाति मालीवाल साल 2015 में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बनी थी और अगले ही साल उन्होंने ये नियुक्तियाँ की थी। दिल्ली महिला आयोग नें 223 नियुक्तियों के बाद से वेतन का मामला लगातार उठता रहा था और कर्मचारियों को हाई कोर्ट की शरण में जाने के बाद वेतन मिल रहा था। इस मामले की जाँच के बाद ही अब एलजी ने ये कदम उठाया है। कुछ लोग इस मामले में भ्रष्टाचार का अंदेशा भी जता रहे हैं कि कहीं इन नियुक्तियों की आड़ में दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरह भ्रष्टाचार तो नहीं किया गया।

वक्फ बोर्ड घोटाला क्या है?

बता दें कि जिस समय स्वाति मालीवाल ने दिल्ली महिला आयोग में भर्तियाँ की, ठीक उसी समय दिल्ली वक्फ बोर्ड के पहली बार अध्यक्ष रहे आप नेता और ओखला से विधायक अमनातुल्लाह खान ने वक्फ बोर्ड में नियुक्तियाँ की थी। उस मामले में सीबीआई की जाँच चल रही है। वहीं, साल 2018 में वक्फ बोर्ड का दोबारा अध्यक्ष बनने के बाद अमानतुल्लाह खान की अगुवाई में 32 लोगों की भर्तियाँ वक्फ बोर्ड में की गई। इन भर्तियों में अमानतुल्लाह खान के करीबी रिश्तेदार और ओखला से ही 24 लोगों को चुना गया। यही नहीं, अमानतुल्लाह के पैतृक गाँव से जुड़े लोगों को भी नौकरियाँ दी गई थी। कॉन्ग्रेस ने बाकायदा इन भर्तियों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया था।

अमानतुल्लाह खान को इस मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया था और उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। यही नहीं, वित्त विभाग ने पत्र जारी कर अमानतुल्लाह खान पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके बाद अमानतुल्ला खान को वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष का पद भी छोड़ना पड़ा था। अमानतुल्लाह खान ने वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष रहते और भी कई गंभीर आपराधिक कामों को अंजाम दिया, जिसमें उन्होंने वक्फ की संपत्तियों को अवैध तरीके से किराए पर देकर पैसे कमाए। वहीं, भर्तियों के माध्यम से भी उन पर पैसे बनाकर रियल इस्टेट में निवेश का आरोप है। सीबीआई के बाद अब ईडी ने अमानतुल्लाह खान को समन जारी किया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया