दिल्ली में कोरोना की थर्ड वेव, केजरीवाल बोले- ICU बेड के लिए जाएँगे सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो/ साभार: अमर उजाला)

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कोरोना वायरस की तीसरी लहर का डर सताने लगा है। दिल्ली में बढ़ रहे संक्रमण के मामलों को लेकर सीएम ने कहा है कि वह स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और सभी जरूरी कार्रवाई करेंगे। केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी माना है कि दिल्ली में कोरोना की ‘तीसरी लहर’ है।

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मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यह भी कहा है कि वह दिल्ली में कोरोना की थर्ड वेव को लेकर बृहस्पतिवार (नवंबर 4, 2020) को रिव्यू मीटिंग करेंगे। अस्पतालों में बेडों की कोई कमी न हो इसके लिए तैयारी चल रही है।

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उन्होंने बताया कि आज उनकी सरकार हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है जिसमें उन्होंने 33 प्राइवेट अस्पतालों में 80 फीसद आईसीयू बेड रिजर्व करने के लिए कहा था। बता दें कि दिल्ली मुख्यमंत्री का यह बयान कोरोना के बढ़ते आँकड़े देखने के बाद आया है। अकेले दिल्ली में मंगलवार को 6, 275 कोरोना केज दर्ज किए गए हैं जबकि अब तक संक्रमण के कुल आँकड़े 4 लाख हो चुके हैं।

सीएम केजरीवाल ने यह भी बताया कि पराली को गलाने के लिए बनाए गए डी-कंपोजर को लेकर उन्होंने हीराँकि गाँव का दौरा किया और छिड़काव के बाद स्थिति की समीक्षा की। वह मीडिया से बात करते हुए कहते हैं –

“मैं जनता को सूचित करना चाहता हूँ कि दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से कोरोना मामलों में वृद्धि हो रही है। मैं इसे शहर में महामारी की तीसरी लहर कहूँगा क्योंकि सितंबर के अंत में और अक्टूबर की शुरुआत में, हर दिन कोरोना के 3 हजार मामले आ रहे थे।”

केजरीवाल ने जनता से परेशान न होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि फिलहाल, दिल्ली में कोरोना बेड की कमी नहीं है। हालाँकि उनके संज्ञान में आया है कि बड़े निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर वाले केवल कुछ आईसीयू बेड खाली पड़े हैं। लेकिन यह मुद्दा एक या दो दिन में हल हो जाएगा जब सुप्रीम कोर्ट उच्च न्यायलय के निर्णय पर अपना फैसला सुनाएगा।

यहाँ बता दें कि पराली की परेशानी के संबंध में अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर के जरिए जानकारी दी है कि दिल्ली के खेतों में बायो-डिकम्पोज़र तकनीक कामयाब रही। पराली खाद में बदल गई है जिससे दिल्ली का किसान संतुष्ट भी है और खुश भी। वह आगे लिखते हैं, “हमारे किसान पराली जलाना नहीं चाहते। हमने उनको समाधान भी दिया है और सुविधा भी, अब दूसरे राज्यों को भी बहाने छोड़ अपने किसानों को ये सुविधा देनी चाहिए।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया