सरकारी स्कूलों में क्लासरूम के नाम पर केजरीवाल सरकार ने बनवाए शौचालय: ₹1300 करोड़ का घोटाला आया सामने, ‘विशेष एजेंसी’ से जाँच की सिफारिश

सामने आया केजरीवाल सरकार का क्लासरूम घोटाला, ₹1300 करोड़ के घोटाले की जाँच की सिफारिश (फोटो साभार: PTI)

दिल्ली एमसीडी चुनाव (Delhi MCD Election) से पहले अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रहीं हैं। केजरीवाल सरकार के कई घोटाले खुलने के बाद अब ‘क्लास रूम’ घोटाला सामने आया है।

दरअसल, दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने राज्य के 194 सरकारी स्कूलों में 2405 क्लास रूम के निर्माण में ‘गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार’ की जाँच ‘विशेष एजेंसी’ से कराने की सिफारिश की है। इस घोटाले की जानकारी सामने आने के बाद भाजपा ‘AAP’ पर हमलावर है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने कथित घोटाले की रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंपी है। सतर्कता निदेशालय ने लगभग 1,300 करोड़ रुपए के कथित घोटाले में शामिल शिक्षा विभाग और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की ‘जिम्मेदारियाँ तय करने’ की भी सिफारिश की है।

दरअसल, केंद्रीय सतर्कता आयोग ने 17 फरवरी 2020 की एक रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के स्कूलों में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा 2,400 से अधिक क्लास रूम्स के निर्माण में ‘गंभीर अनियमितताओं’ के बारे में बताया था।

केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने फरवरी 2020 में दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय को रिपोर्ट भेजकर मामले पर राय माँगी थी। हालाँकि, अरविंद केजरीवाल सरकार ने बीते ढाई सालों में इस रिपोर्ट को गंभीरता से नहीं लिया और किसी प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। इसके बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस साल अगस्त में मुख्य सचिव को मामले में हो रही देरी की जाँच करने और इससे जुड़ी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

बता दें कि अप्रैल 2015 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण का निर्देश दिया था। इसके अंतर्गत पीडब्ल्यूडी को 193 स्कूलों में 2405 क्लासरूम बनाने का काम सौंपा गया था। पीडब्ल्यूडी ने क्लासरूम की आवश्यकताओं को निर्धारित करने के लिए एक सर्वे किया और 194 स्कूलों में कुल 7180 क्लासरूम की आवश्यकता का अनुमान लगाया। वास्तव में यह आँकड़ा 2405 कक्षाओं की आवश्यकता का लगभग तीन गुना था।

इसके बाद 25 अगस्त 2019 को केंद्रीय सतर्कता आयोग को क्लासरूम निर्माण में अनियमितताओं और लागत में बढ़ोतरी की शिकायत मिली। बड़ी बात यह थी कि दिल्ली सरकार ने बिना किसी टेंडर के निर्माण लागत में 90% तक की वृद्धि कर दी थी। यही नहीं, केजरीवाल सरकार ने 500 करोड़ रुपए की लागत वृद्धि को भी मंजूरी दे दी।

केंद्रीय सतर्कता आयोग की जाँच रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में जब क्लासरूम के निर्माण की बात कही गई थी, तब टेंडर निकाले गए थे। हालाँकि, बाद में बिना किसी टेंडर के लागत मूल्य में 17% से 90% तक की बढ़ोतरी कर दी गई। इसका परिणाम यह हुआ कि लागत बढ़कर 326.25 करोड़ रुपए हो गई, जो टेंडर की राशि से 53% अधिक है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “37 करोड़ रुपए के अतिरिक्त व्यय के साथ 160 शौचालयों की आवश्यकता की तुलना में 194 स्कूलों में 1214 शौचालय बनवाए गए थे। दिल्ली सरकार ने शौचालयों की गिनती की और उन्हें क्लासरूम के रूप में पेश किया। 141 स्कूलों में सिर्फ 4027 क्लासरूम ही बने हैं।”

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा, “इन परियोजनाओं के लिए अनुमानित राशि 989.26 करोड़ रुपए थी और कुल टेंडर मूल्य 860.63 करोड़ रुपए का था, लेकिन वास्तविक व्यय 1315.57 करोड़ रुपए हुआ। इसके लिए कोई नया टेंडर नहीं निकाला गया और अतिरिक्त काम को पूरा किया। इनमें से कई काम अधूरे रह गए।”

केजरीवाल सरकार के इस घोटाले की बात सामने आने के बाद भाजपा AAP सरकार पर लगातार हमलावर है। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कटाक्ष करते हुए कहा कि 50-50 कोस दूर जब बच्चा अपने टीचर से पूछता है कि टीचर जी क्लास रूम कहाँ है तो टीचर कहती है कि बेटा चुप हो जा, ये शौचालय ही तुम्हारा क्लास रूम है। अगर जोर से बोला तो भ्रष्टाचारी गब्बर केजरीवाल आ जाएगा।

गौरव भाटिया ने आगे कहा कि विजिलेंस रिपोर्ट में कहा गया है कि बब्बर एंड बब्बर एसोसिएट नाम की एक कंपनी है, जिसने दिल्ली सरकार के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा किया है। केजरीवाल सरकार ने क्लास रूम के नाम पर टॉयलेट बनाए हैं, जिसमें केजरीवाल ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दीं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया