डीएमके ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के लिए एक राज्यसभा सीट देने से इनकार कर दिया है। बता दें कि कई दिनों से मीडिया में ऐसी ख़बरें चल रही थीं कि कॉन्ग्रेस ने तमिलनाडु की अपनी सहयोगी द्रविड़ पार्टी से पूर्व पीएम के लिए एक राज्यसभा सीट की माँग की थी। मनमोहन सिंह का राज्यसभा में कार्यकाल ख़त्म हो गया है और अभी संसद के दोनों सदनों में से किसी में भी पूर्व प्रधानमंत्री सदस्य के रूप में उपस्थित नहीं है। एचडी देवेगौड़ा भी लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। कॉन्ग्रेस के लिए मनमोहन सिंह का संसद में रहना ज़रूरी है क्योंकि अर्थनीति व अन्य कठिन विषयों पर मोदी सरकार को घेरने के लिए उनके चेहरे का उपयोग किया जाता है।
पिछले 5 वर्षों में अर्थव्यवस्था और अन्य जटिल विषयों पर कॉन्ग्रेस की तरफ़ से मनमोहन सिंह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। अतः, पार्टी उन्हें हर हाल में संसद में रखना चाहती है। तमिलनाडु में इसी महीने राज्यसभा की 6 सीटों के लिए मतदान होना है। आँकड़ों की बात करें तो इनमें से 3 सीटें डीएमके के खाते में जा सकती हैं, वहीं बाकी की 3 सीटों पर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी एआईडीएमके के जीतने की उम्मीद है। ऐसे में, कॉन्ग्रेस ने डीएमके को 3 में से 1 सीट डॉक्टर सिंह के लिए माँगी थी, जिसे डीएमके द्वारा ठुकरा दिए जाने की बात सामने आई है।
दरअसल, डीएमके ने 3 में से 1 सीट एमडीएमके संस्थापक वाइको को देने का निर्णय लिया है। वाइको तमिलनाडु के पुराने नेता हैं और डीएमके ने उन्हें पहले ही 1 सीट देने का वादा किया था। बाकी की 2 सीटों पर डीएमके के ही उम्मीदवार होंगे। ऐसे में कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि कॉन्ग्रेस डॉक्टर सिंह को राजस्थान से राज्यसभा भेज सकती है। चूँकि, राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष और वयोवृद्ध नेता मदन लाल सैनी का हाल ही में निधन हो गया था, इससे राजस्थान में एक राज्यसभा सीट खाली हुई है।
https://twitter.com/punjabkesari/status/1145605458629144577?ref_src=twsrc%5Etfwडीएमके द्वारा आख़िरी समय पर अपना निर्णय बदलने से कॉन्ग्रेस भी हैरान नज़र आ रही है क्योंकि डीएमके प्रमुख स्टालिन विपक्षी नेताओं में शायद एकमात्र प्रमुख नेता थे जिन्होंने राहुल गाँधी की प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी का खुल कर समर्थन किया था। उन्होंने कई बार राहुल को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने की वकालत की थी। ऐसे में, लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद उसी तरह का रुख अख्तियार करना कॉन्ग्रेस के लिए चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि भाजपा ने भी अपना मिशन दक्षिण शुरू कर दिया है।
https://twitter.com/IndianExpress/status/1145610466229551106?ref_src=twsrc%5Etfwतेलंगाना और आंध्र में कॉन्ग्रेस पार्टी पहले ही अपना अस्तित्व लगभग खो चुकी है और केरल में वामपंथियों ने राहुल गाँधी द्वारा वायनाड से चुनाव लड़ने को वामपंथी दलों के ख़िलाफ़ लड़ाई के रूप में देखा था। कर्नाटक में कॉन्ग्रेस सत्ताधारी पार्टी ज़रूर है लेकिन सबसे बड़े दल भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए वो एचडी कुमारस्वामी की पार्टी के समर्थन में है जबकि जेडीएस के पास काफ़ी कम सीटें हैं।