‘उस इलाके में 1983 से हो रही हत्याएँ, मंदिर की जमीन पर कब्ज़ा’: CM सरमा ने बताया- 10000 की भीड़ ने पुलिस को घेरा था

पुलिस और घुसपैठियों की झड़प पर बोले सीएम हिमंता बिस्वा सरमा (फाइल फोटो)

असम में अतिक्रमण खाली कराने के दौरान पुलिस और घुसपैठियों में हुए संघर्ष व इसके बाद वायरल हुए वीडियोज पर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वो क्षेत्र 1983 से ही हत्याओं के लिए जाना जाता है, अन्यथा सामान्यतः लोग मंदिर की जमीन और कब्ज़ा नहीं करते। सीएम सरमा ने कहा कि उन्होंने चारों तरफ अतिक्रमण देखा है। साथ ही उन्होंने पूछा कि जब जमीन खाली कराए जाने की प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने की बात हुई थी, फिर उत्तेजित किया?

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, “उस क्षेत्र में 1983 से ही हत्याएँ होती रही हैं। इसके लिए वो कुख्यात है। मैं मंदिर गया था, मैंने चारों तरफ अतिक्रमण देखा। आखिर वो लोग लाठी व हथियारों से लैस होकर कैसे आ गए? आप सिर्फ एक 30 सेकेण्ड के वीडियो को आधार बना कर असम सरकार को बदनाम नहीं कर सकते। उससे पहले और उसके बाद क्या हुआ था, ये देखना पड़ेगा। समग्र नजरिए से घटना को देखिए।”

सीएम सरमा ने कहा कि अगर कोई भी पुलिसकर्मी इसमें शामिल है तो वो खुद कार्रवाई करेंगे, लेकिन साथ ही पूछा कि आखिर 27,000 एकड़ जमीन को 2-3 हजार परिवार कैसे कब्ज़ा सकते हैं? उन्होंने कहा कि गरीब लोग एक-एक इंच जमीन के लिए मर रहे हैं और बाढ़ आने से उन्हें परेशानी हो रही है। भूमिहीनों की बात करते हुए सीएम हिमंता बिस्वा ने कहा कि लोग सरकार से जमीन के लिए गुहार लगा रहे हैं।

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उन्होंने जानकारी दी कि असम सरकार को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने जंगल की एक जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश हाल ही में दिया है। उन्होंने कहा कि जब उच्च-न्यायालय के आदेश का पालन कराते हुए अतिक्रमणकारियों को वहाँ से हटाना है, तो इसमें विपक्ष को सहयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि ताज़ा कार्रवाई भी अचानक से नहीं की गई, इसके लिए पिछले 4 महीनों से विचार-विमर्श किया जा रहा था।

उन्होंने बताया कि लगभग 10,000 लोगों ने पुलिस को घेर लिया था, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि भूमिहीनों को सरकार ने दो-दो एकड़ जमीन देने की योजना बनाई है, जिसके तहत अतिक्रमण को खाली कराया जा रहा है। इस घटना में असम पुलिस के 11 जवान घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि कैमरामैन क्यों आया और उसने ये सब क्यों किया, इसकी न्यायिक जाँच की जाएगी।

बता दें कि जुलाई 2012 में ‘नॉर्थ-ईस्ट पॉलिसी इंस्टिट्यूट’ ने एक अध्ययन में पाया गया था कि 26 सत्रों की 5548 बीघा जमीन को घुसपैठियों ने कब्ज़ा रखा है। एक RTI से तो यहाँ तक पता चला था कि असम का 4 लाख हेक्टेयर जंगल क्षेत्र अतिक्रमण की जद में है। ये राज्य के कुल जंगल क्षेत्रों का 22% एरिया है। 2017 में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा की अध्यक्षता वाली एक समिति ने पाया था कि असम के 33 जिलों में से 15 में बांग्लादेशी घुसपैठिए हावी हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया