मुलायम-अखिलेश के करीबी UPPCL के पूर्व MD एपी मिश्रा PF घोटाले में गिरफ्तार: अखिलेश यादव पर लिखी है किताब

यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्रा गिरफ्तार (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश में भविष्य निधि घोटाले (PF Scam) में आर्थिक अपराध शाखा  (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए यूपी पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के पूर्व एमडी एपी मिश्रा को मंगलवार (नवंबर 5, 2019) को गिरफ्तार कर लिया। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के कर्मचारियों की भविष्य निधि के 2268 करोड़ रुपए का अनियमित तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल में कथित निवेश किए जाने के खुलासे के बाद सरकार हरकत में आ गई है।

इसके अलावा शासन ने सोमवार (नवंबर 4, 2019) को सख्त कदम उठाते हुए देर रात यूपी पावर कारपोरेशन की मौजूदा एमडी और सचिव ऊर्जा अपर्णा को उनके पद से हटा दिया और उनकी जगह पर वरिष्ठ अधिकारी एम देवराज को कमान सौंपी गई है।

बता दें कि एपी मिश्रा को सोमवार देर रात से ही हिरासत में लेकर पूछताछ किया जा रहा था। मामले में यह तीसरी गिरफ्तारी है। इससे पहले शनिवार (नवंबर 2, 2019) को सीपीएफ ट्रस्ट और जीपीएफ ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता और तत्कालीन निदेशक (वित्त) एवं सह ट्रस्टी सुधांशु द्विवेदी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार किया गया था। मामले में यूपी सरकार सीबीआई जाँच की भी सिफारिश कर चुकी है।

ईओडब्ल्यू की टीम ने सोमवार को जेल भेजे गए यूपीपीसीएल के पूर्व निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और यूपीपीसीएल ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता से जेल में पूछताछ की थी। इसके बाद शक्ति भवन से ईओडब्ल्यू की टीम ने कई दस्तावेज जब्त किए। कहा जा रहा है कि डीएचएफएल में निवेश को मंजूरी देने में जो भी जिम्मेदार हैं उन पर शिकंजा कसने की तैयारी है। अब एपी मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद कई अन्य अधिकारियों पर भी जाँच की आँच पहुँच सकती है।

उल्लेखनीय है कि एपी मिश्रा यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी रहे हैं और इन्हें मुलायम सिंह और अखिलेश यादव का करीबी बताया जाता है। अखिलेश यादव से बेहद प्रभावित एपी मिश्रा ने अखिलेश यादव पर किताब भी लिखी थी।

2012 में अखिलेश सरकार बनते ही किसी आईएएस की जगह एक इंजीनियर एपी मिश्रा को यूपीपीसीएल का प्रबंध निदेशक बनाया गया था। इतना ही नहीं सपा सरकार के दौरान मिश्रा को रिटायर होने के बाद भी नियम के विरुद्ध जाकर तीन बार सेवा विस्तार मिला था। एपी मिश्रा पूर्वाचल व मध्यांचल के भी एमडी रह चुके हैं। 

लेकिन योगी सरकार बनने के बाद 24 नवंबर 2017 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। आरोप है कि 17 मार्च 2017 में जब योगी सरकार का शपथ ग्रहण नहीं हुआ था तभी आनन-फानन में एपी मिश्र के कहने पर ही डीएचएफएल में निवेश की पहली क़िस्त जारी कर दी गई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया