‘छुट्टियों में लिखूँगा फैसला’: राहुल गाँधी को गुजरात HC ने 2 साल की सज़ा के मामले में अंतरिम राहत देने से किया इनकार, 1 महीने की गर्मी छुट्टी पर गए जज

राहुल गाँधी (फाइल फोटो)

मोदी सरनेम पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गाँधी को अंतरिम राहत प्रदान करने से इनकार कर दिया है। सूरत की अदालत द्वारा सुनाई गई 2 साल की सज़ा के खिलाफ राहुल गाँधी गुजरात हाईकोर्ट पहुँचे थे। सज़ा मिलने के बाद राहुल गाँधी की संसद सदस्यता भी चली गई थी। अगर उनकी सज़ा पर रोक लग जाती तो वो वापस संसद सदस्यता के लिए प्रयास कर सकते थे। उनके वकील ने सुनवाई में कहा था कि एक जमानती अपराध में सज़ा के लिए ज़िन्दगी भर चुनाव लड़ने से वंचित होना संविधान और व्यक्ति पर बहुत बुरा प्रभाव है।

हालाँकि, गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मामले में अपना फैसला रिजर्व रख लिया है और इसे छुट्टियों के बाद सुनाया जाएगा। राहुल गाँधी अपने बयान ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी ही है’ को लेकर घिरे हुए हैं। एकल पीठ के जज हेमंत प्रच्छक ने इस मामले में अंतरिम रहत देने से मना कर दिया। फ़िलहाल हाईकोर्ट में गर्मी की छुट्टियाँ चल रही हैं। 5 मई को अंतिम वर्किंग डे है, जिसके बाद अब सीधे 1 महीने बाद 5 जून को हाईकोर्ट खुलेगा।

राहुल गाँधी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता व कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने उन्हें अंतरिम राहत देने की माँग की। उन्होंने गुहार लगाई कि कुछ तो निर्णय दे दिया जाए, लेकिन जज ने कहा, “मैंने पहले ही सब स्पष्ट कह दिया है। मैं दलीलें वगैरह सुनूँगा। छुट्टियों के दौरान मैं फैसला लिखूँगा।” इस मामले के ऑरिजिनल रिकॉर्ड और सुनवाई के डिटेल्स हाईकोर्ट ने अपने समक्ष पेश किए जाने का भी आदेश दिया है।

इस मामले में पूर्णेश मोदी ने मुकदमा दायर किया था, जो भाजपा के विधायक भी रहे हैं। उन्होंने कहा था कि इससे मोदी समुदाय को ठेस पहुँची है। उन्होंने दलील दी थी कि एक सासंद होने के कारण वो जो कहते हैं, उसका गहरा असर होता है। पूर्णेश मोदी ने ये भी कोर्ट को बताया कि राहुल गाँधी ने अब तक अपने बयान पर अफ़सोस तक नहीं जताया है। उनके वकील ने कहा कि अगर राहुल गाँधी को माफ़ी नहीं माँगनी है तो फिर को अदालत में जाकर ‘Crybaby’ बनना बंद करें।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया