‘मुझे गोली मार दो’- गुलाम नबी आज़ाद के साथ मीटिंग में हरियाणा कॉन्ग्रेस अध्यक्ष की बात से बवाल

हुड्डा खेमे और तँवर खेमे की लड़ाई के बीच फँसे गुलाम नबी आज़ाद

राजस्थान के बाद अब हरियाणा में भी कॉन्ग्रेस नेताओं के बीच कलह की शुरुआत हो गई है। दिल्ली में वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद की मौजूदगी में हुई बैठक में काफ़ी कुछ ऐसा देखने को मिला, जिससे हरियाणा में पार्टी नेताओं के बीच कलह की पोल खुलती है। हार की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक बेनतीजा ख़त्म हुई। राज्य में कॉन्ग्रेस सभी 10 सीटें हार चुकी हैं। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे के नेता लगातार प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अशोक तँवर के इस्तीफे पर अड़े हैं। हालाँकि, यह गुटबाजी आज की नहीं है बल्कि पिछले 6 वर्षों से चल रही है। गुलाम नबी आज़ाद हरियाणा कॉन्ग्रेस के प्रभारी हैं।

दैनिक जागरण के सूत्रों के अनुसार, बैठक में परेशान आज़ाद ने कहा कि अगर प्रदेश अध्यक्ष अपना इस्तीफा सौंपेंगे भी तो किसे? उन्होंने कहा कि अभी परिस्थितियाँ सही नहीं हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ख़ुद इस्तीफा दिया हुआ है, ऐसे में नेता अपना इस्तीफा किसे देंगे? गुलाम नबी आज़ाद नेताओं को लगातार अपना घर मजबूत करने की सलाह देते रहे और गुटबाजी छोड़ने को कहा। एक घंटे तक चली बैठक में आज़ाद ने नेताओं को जानकारियाँ सार्वजनिक न करने को कहा, इसके बाद वे निकल लिए। गुलाम नबी ने मीडिया से भी बात नहीं की।

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उधर इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़ प्रदेश अध्यक्ष अशोक तँवर ने अजीब सा बयान देते हुए बीच बैठक में ख़ुद को गोली मारे दिए जाने की बात कहीं। ख़बर के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “अगर मेरे को ख़त्म करना है, तो मुझे गोली मार दो।” बैठक में आज़ाद ने कहा कि पार्टी के भीतर कुछ बड़े संगठनात्मक बदलाव किया जाने वाला है, जिसके लिए जिला स्तर पर योजनाएँ तैयार की गई हैं। उनकी बात को नज़रअंदाज़ करते हुए कॉन्ग्रेस नेता आपस में लड़ते रहे। हुड्डा कैम्प के एक विधायक ने तँवर पर तंज कसा और फिर एक लोकसभा प्रत्याशी ने भी तँवर द्वारा नज़रअंदाज़ किए जाने की बात उठाई। जवाब में तँवर ने कहा कि उक्त प्रत्याशी उनका फोन ही नहीं उठाते हैं।

कॉन्ग्रेस विधायक किरण चौधरी द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर ख़ुद को नेता प्रतिपक्ष घोषित किए जाने निवेदन किया गया था। इसपर भी बवाल हुआ। नेताओं ने कहा कि बिना प्रदेश अध्यक्ष से बात किए यह क़दम उठाना ग़लत है और पार्टी को उन पर अनुशासत्मक कार्रवाई करनी चाहिए। नेताओं का आरोप था कि ख़ुद को बड़ा साबित करने के चक्कर में उन्होंने यह पत्र लिखा है। हंगामे के कारण बैठक बीच में ही ख़त्म करनी पड़ी और ग़ुलाम नबी आज़ाद इस कलह को दूर करने में नाकाम रहे।

बगल के राज्य पंजाब में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद हरियाणा में कॉन्ग्रेस का प्रदर्शन बाकि अन्य राज्यों की तरह बहुत बुरा रहा और पार्टी के कई कद्दावर नेता चुनाव हार गए। राजस्थान में पहले से ही पार्टी में घनघोर कलह चल रही है और सीएम व डिप्टी सीएम के खेमों के बीच मतभेद की बातें सामने आ रही हैं। ऐसे में, संगठनात्मक बदलाव की बात तो हो रही है लेकिन इस पर अमल कब तक हो पाएगा, यह देखने लायक बात होगी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया