वापस नहीं होगा CAA, मुख्यमंत्री नहीं कर सकते इनकार: ममता-स्टालिन जैसों को अमित शाह की दो टूक, ‘तुष्टिकरण’ की राजनीति पर विपक्ष को घेरा

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (फोटो साभार: ani)

पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर अधिसूचना जारी करने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री ने समाचार एजेंसी पत्रकार स्मिता प्रकाश को इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर CAA सरकार वापस नहीं लेगी। ये बिलकुल देश का, देश की संप्रभुता का मामला है।

दरअसल, स्मिता प्रकाश के शो में अमित शाह से सवाल किया गया था कि क्या जिस तरह से कृषि कानून वापस लिए गए उसी प्रकार अगर लोग विरोध करें, अंतरराष्ट्रीय प्रेस पर बात उठे, तो क्या संभावना है कि ये कानून भी वापस लिया जाए?

इस पर अमित शाह ने कहा कि ऐसा बिलकुल नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा- “CAA का कानून कभी वापस नहीं लिया जाएगा। भारत की नागरिकता सुनिश्चित करना ये भारत का विषय है, भारत की संप्रभुता का विषय है इसके साथ हम कोई कॉम्प्रॉमाइज नहीं कर सकते।”

अमित शाह ने कानून लागू करने के समय को लेकर कहा कि आज विपक्षी पार्टियाँ जिसमें ओवैसी, राहुल गाँधी, अरविंद केजरीवाल सब शामिल होकर झूठ की राजनीति कर रहे हैं। वह बोले कि ये कानून कब लागू हुआ इसका सवाल ही नहीं है। भाजपा ने 2019 के अपने मेनिफेस्टो में कहा था कि वो पड़ोसी देश के शर्णार्थियों को नागरिकता देंगे। 2019 में इसे संसद से पारित किया गया फिर ये कोरोना के कारण लेट हुआ। अब विपक्ष चूँकि तुष्टिकरण की राजनीति करना चाहता है इसलिए ऐसा कर रहा है।

उन्होंने विपक्ष के उन नेताओं (सीएम ममता बनर्जी, सीएम स्टालिन, सीएम पिनराई विजयन) को सुनाते हुए कहा कि इस कानून को लागू करने से कोई राज्य (या उसके मुख्यमंत्री) नहीं मना कर सकते। कानून बनाने का काम संसद का है। ये केंद्र का विषय है। राज्य का इसे बनाने में या लागू करने में… कोई रोल नहीं होता।

अमित शाह ने कहा, “पिछले 4 साल में 41 बार कह चुका था कि चुनाव से पहले सीएए पूरे देश में लागू होगा… विपक्ष के पास कोई और काम नहीं है। उनका इतिहास ये है कि वो जो बोलते हैं वो करते नहीं है। मोदी जी की हिस्ट्री है कि जो पीएम मोदी ने कहा वो पत्थर की लकीर है। मोदी की हर गारंटी पूरी हो रही है… विपक्ष ने तो यहाँ तक कहा था कि एयरस्ट्राइक, सर्जिकल स्ट्राइक में हमारा कोई राजनीतिक फायदा है। तो क्या हमें आतंक के खिलाफ कदम नहीं उठाने चाहिए। इन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 खत्म करने से फायदा मिलेगा। हम तो 1950 से कह रहे थे कि हम इसे हटाएँगे।”

उन्होंने समझाया कि इस कानून से अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि सीएए में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी की नागरिकता को वो छीने। इसमें सिर्फ हिंदुओं, बौद्धों, जैनों, सिखों और ईसाइयों और पारसियों को नागरिकता देने की बात है। 1947 में कॉन्ग्रेस नेताओं ने कहा था कि विभाजन के समय जिन लोगों को जाना पड़ा वो कभी भी भारत आ सकते हैं लेकिन उन्होंने अपना वादा नहीं निभाया। विभाजन के वक्त 23 फीसद हिंदू और सिख वहाँ थे। अब सिर्फ 3.7 फीसद है। बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या 22% थी अब सिर्फ 10% रह गई है।

गृहमंत्री ने विपक्षी नेताओं के आपा खोने पर बात की, बंगाल में सरकार बनाने पर बात की। साथ ही ये भी समझाया कि सीएए और एनआरसी का एक दूसरे से लेना देना नहीं है सिर्फ दुष्प्रचार के कारण इसे एक साथ देखा जा रहा है। उन्होंने विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि शर्णार्थियों और घुसपैठियों में फर्क होता है ये विपक्षी नेताओं को समझना होगा। उन्होंने सीएए को संवैधानिक रूप से वैध कानून बताया।

साथ ही कहा कि विपक्ष को केवल तुष्टिकरण की राजनीति करनी है इसलिए वो ये सब कर रहे हैं। रही बात मुस्लिमों की तो इस पर भी अमित शाह ने समझाया कि पड़ोसी मुल्क से आए मुस्लिम भी नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकते हैं। कानून में उनका जिक्र इसलिए नहीं है क्योंकि ये प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को शरण देने का मसला है और मुस्लिमों के नाम पर पहले से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देश बने हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया