हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को ₹20,000 करोड़ की सौगात, अर्थव्यवस्था में दिखे सुधार के संकेत

वित्त मंत्री ने एक्सपोर्ट्स और हाउसिंग सेक्टर के लिए उठाए कई क़दम

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक मंदी की ख़बरों के बीच तीसरी बार प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित किया। उन्होंने हाउसिंग और एक्सपोर्ट सेक्टर के लिए कई ऐलान किए। वित्त मंत्री के अनुसार, देशभर में अटके पड़े ऐसे अफोर्डेबल और मिडिल क्लास हाउसिंग प्रोजेक्ट जो एनपीए नहीं हैं, दिवालिया अदालत में नहीं हैं और जिनकी पॉजिटिव नेटवर्थ है, उन्हें स्पेशल विंडो के जरिए सरकार मदद प्रदान करेगी। इसके लिए फंड तैयार किया जाएगा, जिसमें सरकार 10 हज़ार करोड़ रुपए का योगदान देगी।

बैंकों के विलय और विदेशी निवेशकों को राहत के बाद अब सरकार ने एक्सपोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए क़दम उठाए हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई दर नियंत्रण में है। आरबीआई को खुदरा महंगाई दर 2% से 6% के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया गया है। फिलहाल यह 4% से बहुत नीचे है। अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.21% रही। सीतारमण ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन और निवेश में सुधार के संकेत स्पष्ट दिख रहे हैं। बैंकों की ओर से नकदी प्रवाह बढ़ाने के इंतजाम किए जा रहे हैं।

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भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे अंतरराष्ट्रीय बाजार की मंदी के प्रभाव से निपटने लिए सरकार ने आज निर्यात और रियलटी बाजार को बड़ा पैकेज देते हुए निर्यातकों को राहत देने के लिए 50 हजार करोड़ रुपए छूट देने तथा आवासीय क्षेत्र के लिए लगभग 20 हजार करोड़ रुपए का कोष बनाने की घोषणा की। पूरे देश में मेगा शॉपिंग फेस्टिवल आयोजित किए जाएँगे।

वित्त मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई बड़े क़दम उठाए हैं और इन्हें लागू करने का काम शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि निर्यात बढ़ाने के लिए विदेश व्यापार नीति 2015-20 में घोषित की गयी ‘बाजार आधारित निर्यात छूट योजना’ (एमईआईएस) को वापस लेने का फ़ैसला लिया गया है। अब इसके स्थान पर नयी योजना ‘रिमिशन ऑफ डयूटीज – टेक्सेस ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट’ (रोडटेप)) लागू होगी।

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निर्मला सीतारमण ने कहा कि एमईआईएस तथा अन्य योजनाओं का लाभ निर्यातकों को इस वर्ष 31 दिसंबर तक मिलता रहेगा। अगले वर्ष एक जनवरी से नयी योजना लागू हो जाएगी। नई योजना में दो प्रतिशत तक की छूट कपडा और हस्तशिल्प के अलावा अन्य निर्यातित वस्तुओं पर भी मिलेगी। इससे सरकार पर 50 हजार करोड़ रुपए का भार पड़ने का अनुमान है।

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किफायती और मध्यम आय वर्ग के मकानोें के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इस क्षेत्र के लिए एक विशेष व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार का ध्यान अधूरी निर्माण परियोजनाओं को पूरा करने पर है। इसके लिए सरकार 10 हजार करोड़ रुपए के एक कोष का निर्माण करेगी जिसमें इतनी ही राशि निजी क्षेत्र से जुटायी जाएगी। इस तरह से इस कोष में 20 हजार करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध होगी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया