तीसरी बार विधायक बना, फिर भी नहीं बनाया मंत्री: MLA कैलाश गोरंट्याल कॉन्ग्रेस से देंगे इस्तीफा

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (बाएँ), जालना से कॉन्ग्रेस MLA कैलाश गोरंट्याल

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की मुश्किलें खत्म होती नहीं दिख रही। कैबिनेट विस्तार के बाद साझेदार दलों शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी में बगावत के सुर तेज हो गए हैं। जालना से कॉन्ग्रेस विधायक कैलाश गोरंट्याल ने पार्टी से इस्तीफा देने की बात कही है। इससे पहले पुणे में विधायक संग्राम थोपटे को मंत्री नहीं बनाए जाने पर उनके समर्थकों ने कॉन्ग्रेस कार्यालय में तोड़फोड़ की थी।

कैबिनेट में जगह न मिलने से नाराज गोरंट्याल ने कहा कि अपने समर्थकों के साथ पार्टी से इस्तीफा देने का उन्होंने फैसला किया है। उन्होंने कहा, “मैंने और मेरे समर्थकों ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को इस्तीफा सौंपने का फैसला किया गया। मैं तीसरी बार विधायक चुना गया हूॅं। मैंने अपने लोगों के लिए काम किया है। बावजूद मुझे मंत्री नहीं बनाया गया है।”

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30 दिसंबर को कैबिनेट विस्तार किया गया था। 36 मंत्रियों ने शपथ ली थी। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विभागों का बँटवारा कर दिया है। गृह और वित्त जैसे बड़े महकमे एनसीपी के हिस्से में गए हैं। अनिल देशमुख को गृह और उप मुख्यमंत्री अजित पवार को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को पर्यटन और पर्यावरण विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। कॉन्ग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पीडब्ल्यूडी मंत्री बनाए गए हैं।

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कैबिनेट विस्तार के बाद शिवसेना विधायक अब्दुल सत्तार की नाराजगी की खबरें भी आई थी। कहा जा रहा था कि कैबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने से नाखुश सत्तार ने इस्तीफा दे दिया है। हालॉंकि फिलहाल उन्हें मनाने में पार्टी कामयाब हो गई है। औरंगाबाद से विधायक सत्तार राजस्व, ग्रामीण विकास, बंदरगाह भूमि विकास महकमे में राज्य मंत्री बनाए गए हैं।

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बता दें कि कैलाश गोरंट्याल जालना में शिवसेना के अर्जुन कोटकर को विधानसभा चुनाव में हराकर विधायक बने थे। जालना कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष शेख महमूद ने बताया कि गोरंट्याल तीन बार से विधायक हैं और उन्होंने ज़िले में कॉन्ग्रेस को मज़बूत करने के लिए बहुत काम किया है। उन्होंने गोरंट्याल का समर्थन करते हुए कहा, “हमने पार्टी नेतृत्व को अपना इस्तीफा सौंपने का फ़ैसला किया है।”

कॉन्ग्रेसी खेमें में नाराज़गी का पहला सुर पुणे में सुनने को मिला था, जब 1 जनवरी को पुणे के विधायक संग्राम थोपटे के समर्थकों ने इसलिए कॉन्ग्रेस कार्यालय में तोड़-फोड़ की क्योंकि थोपटे को मंत्री पद नहीं दिया गया था। थोपटे के अलावा, पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रणीति शिंदे को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई थी। बता दें कि महाराष्ट्र कैबिनेट में कॉन्ग्रेस के 12 कॉन्ग्रेसी नेताओं को जगह मिली है। इसके अलावा, कैबिनेट विस्तार में एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके को जगह नहीं मिल सकी, महाराष्ट्र की मजलगाँव सीट से एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके का कहना था कि वो विधानसभा सदस्य के रूप में इस्तीफ़ा देंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया