मेरा हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से अब कोई लेना-देना नहीं: 90 वर्षीय गिलानी का अलगाववादी फोरम से इस्तीफा, Pak का था दबाव

सैयद अली शाह गिलानी (फाइल फोटो)

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के 90 वर्षीय नेता सैयद अली शाह गिलानी ने अलगाववादी संगठनों के फोरम हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को अलविदा कह दिया है। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के साथ ही हाउस अरेस्ट किए गए गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया है। हालाँकि, गिलानी ने इस्तीफे के कारणों का जिक्र नहीं किया गया और कहा है कि कुछ ऐसे मुद्दे थे, जिनके कारण उन्हें इस्तीफा देने के लिए बाध्य होना पड़ा

सैयद अली शाह गिलानी पिछले 30 साल से जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद का सबसे बड़ा चेहरा बने हुए थे। उन्होंने एक ऑडियो मैसेज में कहा है कि ताज़ा परिस्थितियों के कारण उन्होंने इस्तीफा दिया है। उन्होंने कहा कि उनका अब इस अम्ब्रेला संगठन से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने इस फोरम के सभी संगठनों को पत्र लिख कर अपने फ़ैसले से अवगत करा दिया है।

एनडीटीवी के सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान में कई लोग गिलानी से नाराज़ थे, क्योंकि वो मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने और उसे केंद्र शासित प्रदेश में बदलने वाले निर्णय के खिलाफ आवाज़ नहीं उठा सके और न ही अपने लोगों को गोलबंद कर के सरकार पर दबाव बना सके। सैयद अली शाह गिलानी पिछले कुछ दिनों में चुप ही रहे हैं और उन्होंने कोई ख़ास बयान नहीं दिया है।

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सैयद अली शाह गिलानी के बारे में कहा जा रहा है कि ढलती उम्र के साथ उनका स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा है, जिससे वो जम्मू-कश्मीर मामलों में सक्रियता नहीं दिखा पा रहे थे और अलगावादियों का एक बड़ा धड़ा उनसे नाराज़ चल रहा था। उनके फ़िलहाल मेडिकेशन पर होने की बात भी कही जा रही है। वो कई महीनों से इलाजरत हैं। जम्मू-कश्मीर के कई अलगाववादी नेता फ़िलहाल अलग-अलग जेलों में क़ैद हैं।

पिछले साल अप्रैल में सैयद अली शाह गिलानी पर आयकर विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली की संपत्ति को सीज कर दिया था। आयकर विभाग के अधिकारियों ने दिल्ली के मालवीय नगर के खिड़की एक्सटेंशन स्थित प्रॉपर्टी को सीज कर दिया था। विभाग के कर वसूली अधिकारी (टीआरओ) ने 1996-97 से लेकर 2001-02 के बीच गिलानी द्वारा ₹3.62 करोड़ आयकर का भुगतान करने में विफल रहने पर इस घर को सील किया था।

एक बार ‘इंडिया टुडे कन्क्लेव’ में सैयद आली शाह गिलानी को पत्रकार आदित्य राज कौल ने करारा जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर कश्मीरी पंडितों का भी उतना ही है, जितना कश्मीर के समुदाय विशेष वालों का। आदित्य राज कौल ने उनके सामने ही कहा था कि उनके जैसे अलगाववादी ये भूल जाते हैं कि कश्मीरी पंडितों के साथ क्या हुआ था। आदित्य ने कहा था कि गिलानी जैसे पाकिस्तानी एजेंट्स को घाटी के भविष्य के बारे मे निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया