राँची में दंगा कराने UP से गई थी टीम: सोरेन सरकार की तुष्टिकरण से कट्टरपंथी हावी, जिला पंचायत चुनाव में BJP ने मारी बाजी

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और दंगाई (फोटो साभार: जागरण)

जब सरकार कमजोर और लाचार हो तो कट्टरपंथी शैतान हावी हो जाते हैं। यह बात झारखंड (Jharkhand) के मामले में शत-प्रतिशत लागू होता होती। विधानसभा में नमाज के लिए कमरा आवंटित करने, स्थानीय भाषा को बढ़ावा देने के नाम पर सभी जिलों में उर्दू थोपने से लेकर सरकारी स्कूलों को ‘हरे रंग’ में रंगने के सरकारी आदेश के वहाँ कट्टरपंथियों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है। इसको देखते हुए राज्य की जनता फिर से भाजपा (BJP) की ओर देखने लगी है।

इसके संकेत राज्य के जिला पंचायत चुनावों में स्पष्ट देखने को मिला। झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो चुके हैं और इसमें भाजपा को जबरदस्त सफलता मिली है। अब जिला परिषद अध्यक्षों का चुनाव 15-20 जून के बीच होना है, जिसमें भाजपा को 11 सीटों के साथ जबरदस्त जीत की मिलने की संभावना है।

दरअसल, भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान को इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद का अपमान बताकर राज्य में 10 जून को जुमे की नमाज के बाद जो आतंक फैलाया गया, वह कट्टरपंथियों को बुलंद हौसलों की ओर इशारा करते हैं। इस मामले में यह बात सामने आई थी कि यूपी और देश के अन्य जगहों के कट्टरपंथी मुस्लिम झारखंड गए थे और युवाओं को प्रदर्शन के लिए भड़काया था।

भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में चार जून से ही दंगा की तैयारी शुरू कर दी गई थी और इसके लिए यूपी के सहारनपुर से 12 लोगों का एक दल चार और सात जून को राँची पहुँचा था। दल के कट्टरपंथियों ने राँची के मुस्लिम बहुल खूँटी, इलाही नगर, हिंदपीड़ी और गुदड़ी में बैठक कर जुलूस निकालने और हिंसा करने के लिए उकसाया था।

कट्टरपंथियों की टीम ने 16 से 24 साल के युवाओं को मुख्य रूप से फोकस किया। उन्हें कौम को परेशान करने का हवाला देकर भड़काया गया। कहा गया कि यूपी में मुस्लिमों को परेशान किया जा रहा है, इसलिए अपनी ताकत दिखानी होगी। इन लोगों ने गुरुवार को बाजार बंद का आह्वान किया था। इस मैसेज को ह्वाट्सएप ग्रुप पर खूब शेयर कर लोगों का समर्थन लिया गया। हिंसा के पीछे एक JMM कार्यकर्ता और पानी व्यवसायी का भी नाम आ रहा है। इससे पुलिस ने पूछताछ भी की है।

10 जून 2022 को देश के कई शहरों के साथ-साथ राँची में भी बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। यहाँ तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया गया। पुलिस और आम लोगों पर पथराव किए गए। हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुँचाए गए। हिंसा के वीभत्स रूप को देखते हुए पुलिस को गोली चलानी पड़ी, जिसमें दो दंगाइयों की मौत हो गई।

लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की अगुवाई वाली सरकार में सहयोगी कॉन्ग्रेस के विधायक इरफान अंसारी ने इन दंगाइयों की मौत पर सरकार से क्षतिपूर्ति की माँग कर डाली। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 50 लाख रुपए और परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी देने की माँग की।

जब उपद्रवी लोगों को सरकार के सहयोगी दल के नेताओं का समर्थन हो तो सरकार की शक्ति लाचार नजर आने लगती है। सरकार ही जनता को कट्टरता और अराजकता के खतरे से बचा सकती है। जब सरकार की शक्ति अराजकता को रोकने में विफल हो जाती है तो कट्टरता बढ़ जाती है। मानव पर भ्रष्टता हावी हो जाती है और मनुष्य शैतान बन जाते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया