JNU प्रशासन ने ‘वामपंथियों’ के कब्जे वाले ‘छात्रसंघ’ को अवैध करार देते हुए भंग करने का दिया आदेश

फरवरी 2016 में जिस विश्विद्यालय के छात्रसंघ ने देशविरोधी नारे लगाने के पर सबसे ज्यादा सुर्खियाँ बटोरी थीं उसे बंद कर दिया गया है। बता दें कि जेएनयू प्रशासन ने आज (16 अक्टूबर) को विश्वविद्यालय छात्रसंघ को ‘अवैध’ करार देकर भंग करने का आदेश दे दिया है। छात्रसंघ पदाधिकारियों को विश्वविद्यालय ने नोटिस थमाकर शाम 5 बजे छात्रसंघ का दफ्तर खाली करने का आदेश दे दिया गया है।

प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय के छात्रसंघ को अवैध करार देते ही, उन्हें दिया गया छात्रसंघ दफ्तर तुरंत विश्वविद्यालय द्वारा अपने कब्ज़े में ले लेने की कार्रवाई तेज़ हो गई। इसपर बात करते हुए नोटिस जारी करने वाली यूनिवर्सिटी के अधिकारी और डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर (डीएसडब्लू ) उमेश अशोक कदम ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में बने छात्रसंघ के दफ्तर का दुरूपयोग न हो सके इसलिए छात्रसंघ पदाधिकारियों को नोटिस थमाकर उस छात्रसंघ दफ्तर को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दे दिया गया।

हालाँकि, उम्मीद के मुताबिक दफ्तर खाली करने के नोटिस पर छात्रसंघ वाले हंगामा करते हुए छात्रसंघ दफ्तर के बहार दोपहर करीब 3:30 बजे धरने पर बैठ गए। नियम तोड़कर कुर्सी तक पहुँचने वाले और अब उसे हथियाने की कोशिश में लगे ऊंची आवाज़ में हंगामा करते पदाधिकारियों ने इस नोटिस को छात्रों की आवाज़ दबाने का वाला कदम बताया है।

प्रशासन का आरोप है कि मौजूदा JNU छात्रसंघ के चुनाव में लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों की अनदेखी की गई। वहीं इसके उलट छात्रसंघ ने प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा है कि ‘छात्रसंघ का दफ्तर किसी डीन की अपनी जागीर नहीं बल्कि प्रतिनिधित्व और संघिकरण (छात्रों का संघ) के लिए JNU के उनका हक है’ , उन्होंने कहा कि ‘JNU का छात्रसंघ दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा मान्यता प्राप्त है’।

जनेवि इससे पहले भी इस साल विवादों के चलते सुर्ख़ियों छाये रहा था जबकि दो छात्रों ने छात्रसंघ में अपनी दावेदारी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने JNU को यह निर्देश दिया था कि लिंगदोह कमिटी के दायरे में हो रहे चुनाव के परिणामों को ग्रीवांस कमिटी की मंजूरी के बाद ही घोषित किया जाए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया