जम्मू-कश्मीर: छह महीने में पत्थरबाजी की 190 घटनाएँ, 765 की हुई गिरफ़्तारी

कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में 765 गिरफ़्तारी (फोटो साभार - डीएनए)

5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को मिलने वाला विशेष राज्य का दर्जा रद्द कर दिया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर राज्य में शांति व्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार ने इस सम्बन्ध में आँकड़े पेश किए हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य की शांति और स्थिरता के बारे में बात करते हुए लोकसभा में गृह-राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी।

संसद के निचले सदन में एक सवाल के जवाब में बोलते हुए रेड्डी ने बताया कि घाटी में 15 नवम्बर तक पत्थरबाज़ी के करीब 190 मामले दर्ज किए हैं। पत्थरबाज़ी की इन घटनाओं में 765 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बताया कि राज्य में शांति बनाए रखने और पत्थरबाजी की घटनाओं पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए सरकार कई मोर्चों पर सक्रिय है। उन्होंने कहा कि माहौल बिगाड़ने वालों में एक बड़ी तादाद दंगाइयों और भीड़ उकसाने वालों की है। इसके लिए सरकार एहतियातन गिरफ़्तारी से लेकर पीएसए के तहत गिरफ़्तारी जैसे कदम उठा रही है।

रेड्डी ने हुर्रियत कांफ्रेंस जैसे अलगाववादी संगठनों पर घाटी के लोगों को पत्थरबाज़ी के लिए उकसाने का आरोप लगाया। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ रेड्डी न बताया कि एनआईए ने टेरर फंडिंग के मामले में अभी तक 18 लोगों पर चार्जशीट तैयार की है।

घाटी में शांति और स्थिरता पर बोलते हुए रेड्डी ने बताया कि सरकार द्वारा कश्मीर पर फैसला लेने के कुछ महीने तक स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति कम थी मगर सरकार द्वारा लिए गए एहतियात के चलते कश्मीर में एग्ज़ाम देने वाले छात्रों का आँकड़ा अब 99.7 प्रतिशत है।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में गृह-राज्यमंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि कश्मीर प्रशासन के मुताबिक पिछले छह महीने में राज्य में 34 लाख, 10 हज़ार 219 सैलानी घूमने आए जिसमें कि 12 हज़ार 934 विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। इसके ज़रिए राज्य को करीब 25.12 करोड़ रुपए की आमदनी हुई। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में हिंसा और उपद्रव के दौरान पम्प एक्शन गन का इस्तेमाल उन परिस्थितयों में किया गया जब नागरिकों की जान बचाने के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं था।

संसद में बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि घाटी में इन्टरनेट सेवाओं पर लगे प्रतिबन्ध उसी वक़्त हटाया जाएगा जब स्थानीय प्रशासन को लगेगा कि घाटी की स्थितियाँ सामान्य हैं। वर्तमान समय में इन्टरनेट की महत्ता को स्वीकार करते हुए अमित शाह ने इस बैन को सही ठहराते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में सभी अखबार और टीवी चैनल सुचारू रूपसे काम कर रहे हैं और अख़बारों के सर्कुलेशन में कोई कमी नहीं आई है।

मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के स्थानीय प्रशासन ने कहा था कि घाटी में लगाए गए प्रतिबन्ध धीरे-धीरे हटाए जाएँगे। बता दें कि हाल ही में घाटी में लगे प्रतिबंधों को लेकर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सरकार ने करीब 90 फीसदी प्रतिबन्ध हटा लिए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया