राजनीतिक दखल के कारण केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने छोड़ा कुलाधिपति का पद, सारी फाइलें CM के दफ्तर में भेजी

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (फाइल फोटो)

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने रविवार (12 दिसंबर, 2021) को कन्नूर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पर जम कर निशाना साधा। राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण आरिफ मोहम्मद खान ने कुलाधिपति के पद से इस्तीफा देने की पेशकश करते हुए पत्र लिखा था। लेकिन, सीएम विजयन ने समझौते की बजाए उलटा राज्यपाल की मंशा पर ही सवाल उठा दिए। बता दें कि ये मामला कन्नूर विश्वविद्यालय की कुलपति की नियुक्ति से जुड़ा हुआ है।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का कहना है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किसी के दबाव में आकर कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्त के लिए एक व्यक्ति को चुना है। उन्होंने पूछा कि राज्यपाल ने अपने मन क्यों बदल लिया, जबकि राज्यपाल का कहना है कि राज्य की CPI(M) सरकार से वो और टक्कर नहीं चाहते, इसीलिए उन्होंने ये फैसला लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नियुक्ति के मामले में राज्यपाल को कुछ कानूनी शंकाएँ थीं, जिनके सम्बन्ध में एडवोकेट जनरल द्वारा उन्हें उच्च-स्तर पर सलाह भी दी गई थी।

उन्होंने साफ़ कर दिया कि केरल की सरकार कन्नूर यूनिवर्सिटी के निर्वतमान कुलपति गोपीनाथ रवीन्द्रन को इस्तीफा देने के लिए नहीं बोलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार VC की नियुक्ति नहीं करती है, बल्कि ये राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में आता है। उन्होंने कहा कि सरकार कुलाधिपति, यानी राज्यपाल को सिर्फ सलाह देगी, अंतिम निर्णय उनका काम है। कालड़ी श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति पर भी उन्होंने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि UGC के नियमानुसार चांसलर को नामों की सूची दी जानी, जबकि उन्हें एक ही नाम दिया गया।

उन्होंने कहा कि पहले शिक्षा मंत्रालय से राज्यपाल ने पूरे पैनल का नाम माँगा था, बाद में सिर्फ एक व्यक्ति का भेजने को कहा। उन्होंने LDF की गठबंधन सरकार द्वारा राज्य में कुलपतियों की नियुक्ति में हस्तक्षेप के आरोपों से इनकार कर दिया। राज्यपाल ने अपने पत्र में कहा था कि विश्वविद्यालय राजनीतिक लोगों से भरे हुए हैं और गैर-अकादमिक लोग अकादमिक निर्णय ले रहे हैं। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को उन्होंने कुलपति का पद लेने की चुनौती भी दी, इसके जवाब में सीएम ने कहा कि वो राज्यपाल की शक्तियाँ नहीं चाहते।

उन्होंने कहा कि कलामंडलम VC का कुलाधिपति के विरुद्ध कोर्ट जाने का निर्णय भी गलत है। उन्होंने कहा कि वो इसकी अनुमति नहीं देते और उन्होंने VC को केस वापस लेने के लिए भी कहा, जो उन्होंने किया। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पूछा था कि उक्त VC के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। श्रीनारायण गुरु ओपन यूनिवर्सिटी में भी एक साल बाद भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है, जिस पर राज्यपाल खान ने आपत्ति जताई थी। VC को वेतन भी नहीं मिला है।

उधर आरिफ मोहम्मद खान अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि वो कुलाधिपति के रूप में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं चाहते, वरना वो इस पद पर नहीं रहेंगे। उन्होंने बतौर चांसलर आने वाली सभी फाइलों को सीएम के दफ्तर में भेजने का आदेश दे दिया है। उन्होंने कहा कि सीएम विजयन अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर कानून बदल दें और चांसलर का पद ले लें, उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि ढाई वर्षों से VCs का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है और ये काफी दर्द भरा है।

CAA कानून के खिलाफ जब केरल की सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी तब राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पिनाराई विजयन सरकार की आलोचना की थी, जिसके बाद सीएम विजयन ने भी पलटवार किया था। राज्यपाल का कहना है कि अब सरकार सीमा लाँघ रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए सात नाम थे, लेकिन उन्हें बस एक नाम दिया गया। आरिफ मोहम्मद खान ने स्पष्ट किया है कि उनका काम किसी राजनीतिक दल के एजेंडे को लागू करना नहीं है।

एक इंटरव्यू में आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि उन्हें बदनाम करने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, “केंद्र के साथ जब भी मुख्यमंत्री का विवाद हुआ, मैंने उन्हें सही सलाह दी। केरल और इसकी छवि को बढ़ावा देने के लिए मैंने कई बार आगे बढ़ कर प्रयास किए। गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस के दौरान लोगों ने मुझे केरल सरकार का प्रतिनिधि तक बता दिया। केरल में उच्च-शिक्षा में राजनीतिक हस्तक्षेप हदें पार कर चुका है। वो कम से कम दिखाते भी नहीं कि राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया