केरल की वामपंथी सरकार का दोमुँहापन: पहले इजरायल भेजे मंत्री और अब कह रहे हम उसके साथ नहीं, फिलिस्तीन के साथ

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (चित्र साभार: ORF, WikiPedia & TOI)

केरल के वामपंथी मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि ‘भाजपा के इजरायल के समर्थन’ को ‘भारत के इजरायल को समर्थन’ के तौर पर ना देखा जाए। उनका यह बयान इस्लामी आतंकी संगठन हमास द्वारा इजरायल पर हमले के बाद भारत द्वारा की गई निंदा लेकर आया है।

विजयन ने कहा कि भारत को इजरायल से रक्षा और सैन्य संबंध नहीं रखने चाहिए। इजरायल नई दिल्ली को फिलिस्तीन के खिलाफ कंधे के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। हालाँकि, उनके इस बयान की आलोचना भी हुई है और उनकी पार्टी के दोहरे मापदंड भी सामने आ गए हैं।

सबसे पहली बात तो यह है कि विदेश सम्बन्ध भारत में केंद्र सरकार के अधीन आते हैं। राज्य सरकारों का यह विषय ही नहीं है। ऐसे में एक मुख्यमंत्री का इस विषय पर बोलना और उस पर भी देश के स्टैंड को लेकर बात करना नैतिक और संवैधानिक रूप से सही नहीं है।

दूसरी बात यह है कि जो विजयन आज इजरायल का विरोध कर रहे हैं उनकी ही पार्टी के इजरायल के समबन्ध रहे हैं। केरल की समाचार वेबसाइट ऑनमनोरमा में छपे एक लेख के अनुसार, उनकी पार्टी की सरकार अपने प्रतिनिधिमंडल को लगातार इजरायल भेजती रही है।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण फरवरी 2023 में ही इजरायल गया एक प्रतिनिधिमंडल है। केरल सरकार के एक बड़े अफसर के साथ 27 लोगों का यह प्रतिनधिमंडल इजरायल में खेती की नई तकनीकें सीखने के लिए गया था। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पहले केरल के कृषि मंत्री पी प्रसाद करने वाले थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें किन्हीं कारणों से जाने से रोक दिया।

हालाँकि यह कोई नई बात नहीं है। वर्ष 1997 से 2001 के बीच केरल के ही इके नायनार की सरकार में कृषि मंत्री रहे कृष्णन कनियमपरम्बिल भी इजरायल गए थे। वह इजरायल जाने वाले केरल की वामपंथी सरकार के पहले मंत्री थे।

केरल की वामपंथी सरकार ही नहीं, बल्कि देश के अन्य वामपंथी सरकार के नेता भी इजरायल की यात्रा करते रहे हैं। पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु वर्ष 1997 में बंगाल से 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल लेकर इजरायल गए थे। बड़े वामपंथी नेता और लोकसभा के पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी भी वर्ष 2000 में इजरायल गए थे।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के इस बयान की निंदा भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने भी की है। उन्होंने विजयन के इस बयान पर एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा है, “राज्य कब से भारत की विदेश नीति तय करने लगे?”

एक अन्य बिंदु यह भी है कि बड़ी संख्या में केरल के लोग काम करते हैं और अपनी आजीविका चलाते हैं। एक आँकड़े के अनुसार, केरल में कम से कम 7,000-8,000 मलयाली काम करते हैं। वह वहां से आजीविका कमा कर केरल भेजते हैं। बड़ी संख्या में मलयालियों को रोजगार देने वालों की खुले मंच से आलोचना कहाँ तक सही है, इस पर भी प्रश्न उठ रहे हैं।

गौरतलब है कि 7 अक्टूबर 2023 को इस्लामी आतंकी संगठन हमास ने हमला करके 1,400 इजरायली नागरिकों को मार दिया था। इसके बाद से इजरायल लगातार गाजा पर हमले कर रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया