सबरीमाला: केरल के वरिष्ठ नेता का आया भड़काऊ बयान, मंदिर के पुजारी को बोला ‘दानव ब्राह्मण’

केरल के वरिष्ठ मंत्री ने सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारी को बोला 'दानव ब्राह्मण'

सबरीमाला विवाद के चलते केरल के एक वरिष्ठ नेता का ऐसा बयान सामने आया है, जो मौजूदा स्थितियों को और भी ज्यादा बिगाड़ सकता है।

सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारी को केरल के एक वरिष्ठ नेता ने ‘दानव ब्राह्मण’ कहकर बुलाया है। दरअसल, मन्दिर में दो महिलाओं में घुसने के आने के बाद मुख्य पुजारी द्वारा मंदिर के शुद्धिकरण समारोह को आयोजित करने की वज़ह से उन्हें वरिष्ठ नेता द्वारा ‘ब्राह्मण दानव’ (Brahmin monster) जैसा उपनाम दिया गया।

44 वर्षीय कनकदुर्गा और 42 वर्षीय बिंदु, हाल ही में सदियों पहले से चली आ रहीं परंपरा को दरकिनार करते हुए, सबरीमाला मंदिर में घुस गईं थीं। जिसके बाद कंदरु राजीवरू नाम के पुजारी ने पवित्र स्थान की पवित्रता बनाए रखने के लिए शुद्धिकरण समारोह का आयोजन किया।

पुजारी द्वारा इस शुद्धिकरण समारोह को आयोजित करने पर सार्वजनिक कार्य विभाग मंत्री और सीपीएम के वरिष्ठ नेता जी. सुधाकरण ने पुजारी के बारे में कहा है- “अगर किसी औरत के साथ अपवित्रों जैसा बरताव करेगा तो आप क्या उसे इंसान मानेंगे?”

शुद्धिकरण समारोह के कारण मंत्री जी ने पुजारी को जाति दानव कहा है। उन्होंने पुजारी को ब्राह्मण न होकर दानव ब्राह्मण बताया है। उनके अनुसार एक ब्राह्मण यदि दानव बन जाए, तो वो आतंक का रूप ले लेता है।

मंत्री जी ने पुजारी पर आरोप लगाया है कि वो शुद्ध ब्राह्मण नहीं हैं। उनके भीतर प्रभु अयप्पा के लिए न प्रेम भावना है, न इज्ज़त है, न निष्ठा है।

सबरीमाला मंदिर का इतिहास

आख़िर क्यों सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के अंदर जाने से मचता है बवाल…

इस मंदिर में भगवान अयप्पा विराजमान हैं। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से लगभग 175 किलोमीटर दूर स्थित पेरियार टाइगर रिजर्व क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई समुद्रतल से एक हजार किलोमीटर है। यह हिंदुओं के तीर्थ स्थलों में प्रमुख स्थल है। प्रत्येक वर्ष इस मंदिर में करोड़ों की संख्या में भगवान अयप्पा का दर्शन करने भक्त आते हैं।

भगवान अयप्पा पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप और शिव के समागम का प्रतिफल बताए जाते हैं। पौराणिक मान्यता है कि भगवान परशुराम ने ही भगवान अयप्पा मंदिर की स्थापना की थी। लेकिन इतिहास की बातों के अनुसार अयप्पा केरल के पांडलम राजवंश के राजकुमार थे। भगवान अयप्पा को वानप्रस्थ आश्रम का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही वे ब्रह्मचारी हैं। जिसकी वजह से विशेष उम्र की महिलाओं को उनके दर्शन करने की मनाही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया