पत्नी और 2 भाइयों को टिकट, हिन्दू विरोधी शफीकुर्रहमान पर भी भरोसा: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सपा ने जारी की प्रत्याशियों की पहली लिस्ट

अखिलेश यादव का राजनीतिक परिवार (फोटो साभार : आजतक)

समाजवादी पार्टी (सपा) ने मंगलवार (30 जनवरी 2024) को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। पहली सूची में 16 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है। जिन उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है उनमें सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव, भाई धर्मेंद्र यादव, भाई अक्षय यादव जैसे मुलायम यादव के परिवार के सदस्यों के नाम हैं।

समाजपार्टी पार्टी ने जिन 16 लोगों को टिकट दिया है, उनमें संभल से शफीकुर्रहमान बर्क, फिरोजाबाद से अक्षय यादव, मैनपुरी से डिंपल यादव, एटा से देवेश शाक्य, बदायूँ से धर्मेंद्र यादव, खीरी से उत्कर्ष वर्मा, धौरहरा से आनंद भदौरिया, उन्नाव से अनु टंडन, लखनऊ से रविदास मेहरोत्रा, फर्रुखाबाद से नवल किशोर शाक्य, अकबरपुर से राजाराम पाल, बांदा से शिवशंकर सिंह पटेल, फैजाबाद से अवधेश प्रसाद, अंबेडकरनगर से लालजी वर्मा, बस्ती से राम प्रसाद चौधरी और गोरखपुर से काजल निषाद के नाम शामिल हैं।

सपा की इस सूची को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि इस सूची में परिवारवाद और जातिवाद पूरी तरह हावी है। वहीं, इस सूची में शामिल शफीकुर्रहमान बर्क को हिंदू विरोधी बयानों के लिए जाना जाता है। वो अखिलेश यादव से भी बगावत कर चुके हैं। इसके बावजूद उन्हें टिकट दिया गया है। इस बीच, सोशल मीडिया पर लोग समाजवादी पार्टी पर निशाना साध रहे हैं।

सोशल मीडिया यूजर सचिन पाण्डेय ने इस लिस्ट को लेकर समाजवादी पार्टी की आलोचना की है। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “समाजवादी पार्टी में सवर्णों- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, श्रीवास्तव सहित व्यापारी जातियों व अन्य सामान्य जाति का कोई स्थान नहीं है। सपा का नारा यादव मुस्लिम दलित (PDA) है। दलित और पिछड़ा केवल सपा के लिए वोटबैंक।”

प्रशांत किशोर नाम के यूजर ने लिखा, “तीन नाम अभी से परिवार के हैं। काहे के समाजवादी?”

नीरज दुबे ने लिखा, “समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर ‘परिवार प्रथम’ के सिद्धांत को सर्वोपरि रखा है। सूची में शामिल कई नाम अखिलेश यादव के परिवारजनों के ही हैं। कार्यकर्ताओं को सिर्फ नारे लगाने के लिए पार्टी में रखा गया है।”

बता दें कि इंडी गठबंधन में अखिलेश यादव कॉन्ग्रेस के सहयोगी है। ये अलग बात है कि अभी तक कॉन्ग्रेस और सपा में सीटों की पहचान को लेकर कोई समझौता सार्वजनिक तौर पर नहीं हुआ है, सिवाय इसके कि 11 सीटों पर कॉन्ग्रेस चुनाव लड़ेगी। ऐसे में इनमें से कुछ सीटें ऐसी भी हो सकती हैं, जिन पर कॉन्ग्रेस की भी दावेदारी हो।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया