दिग्विजय गिरा रहे कमलनाथ की सरकार? बोले शिवराज- इतने गुट हैं कॉन्ग्रेस में कि आपस में ही मारामारी मची है

दिग्विजय भरोसे कमलनाथ सरकार (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश में सियासी गतिविधियॉं जोरों पर है। कॉन्ग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। कॉन्ग्रेस ने बीजेपी पर प्रदेश की कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने और अपने समर्थक विधायकों को बंधक बनाने का आरोप लगाया है। हालॉंकि बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज किया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बीजेपी ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं है। लेकिन, अंदरुनी वजहों से सरकार जाती है तो कॉन्ग्रेस खुद जाने।

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उन्होंने कहा, “यह मामला उनके (कॉन्ग्रेस) घर का है, आरोप हम पर लगाते हैं। उनका काम केवल आरोप लगाना है। अब इतने गुट हैं कांग्रेस में कि आपस में ही मारामारी मची हुई है।” मीडिया खबरों के अनुसार प्रदेश भाजपा प्रमुख वीडी शर्मा भी कॉन्ग्रेस के आरोपों को तथ्यों के परे करार देते हुए इसे उनका आपसी मामला बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ, पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह को इसका जवाब देना चाहिए।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रदेश सरकार में मंत्री जीतू पटवारी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर कमलनाथ सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। जीतू पटवारी ने इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड शिवराज सिंह चौहान को बताया था। पटवारी ने आरोप लगाया था कि भाजपा नेता हरियाणा के एक होटल में आठ विधायकों को लेकर गए हैं। विधायकों को 50-60 करोड़ रुपये की पेशकश की जा रही है।

हालॉंकि इस सियासी घटनाक्रम के पीछे दिग्विजय की भूमिका भी बताई जा रही है। वे भले भाजपा पर आरोप लगा रहें हो और कमलनाथ सरकार को कोई खतरा नहीं होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन इस उठापठक में जिन विधायकों के नाम सामने आए हैं उनमें 3 उनके ही करीबी बताए जाते हैं। एक विधायक सिंधिया खेमे के बताए जा रहे हैं। बताया जाता है कि दो विधायक मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं। मीडिया की खबरों में यह दावा किया जा रहा है कि कॉन्ग्रेस और उसे समर्थन दे रहे निर्दलीयों में से 14 कमलनाथ सरकार से नाराज चल रहे हैं और बीजेपी के संपर्क में हैं। गौरतलब है कि 2018 के आखिर में हुए विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस ने राज्य की सत्ता में 15 साल बाद वापसी करने में भले सफल रही थी, लेकिन अपने दम पर वह बहुमत का आँकड़ा जुटाने में नाकाम रही थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया