महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने के लिए उद्धव ठाकरे को 28 मई से पहले किसी सदन की सदस्यता लेनी होगी। उनको एमएलसी नामित करने का प्रस्ताव महाराष्ट्र कैबिनेट दो बार गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को भेज चुकी है। कोश्यारी ने अब तक कोई फैसला नहीं किया है। लिहाजा उद्धव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील की है।
उद्धव ने बुधवार को मोदी को फोन कर महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। पीएम ने उन्हे मामले पर गौर करने का भरोसा दिलाया है।
https://twitter.com/ANI/status/1255544332301398016?ref_src=twsrc%5Etfwमीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ठाकरे ने महाराष्ट्र विधान परिषद में अपने मनोनयन को लेकर मोदी से फोन पर बात की और सरकार बचाने के लिए मदद माँगी। कथित तौर पर कहा कि अगर वह उच्च सदन में नामित नहीं होते हैं, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।
उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से यह भी कहा कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है। इससे पहले, ठाकरे द्विवार्षिक चुनावों के माध्यम से परिषद के लिए निर्वाचित नहीं हो सकते थे क्योंकि कोरोनोवायरस प्रकोप के कारण चुनाव स्थगित कर दिए गए थे। चूंकि ठाकरे विधायक नहीं हैं, इसलिए उन्हें अपने पद को बचाने के लिए 28 मई तक विधान परिषद की सदस्यता हासिल करनी होगी।
प्रधानमंत्री को फ़ोन करने से पहले महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (Maharashtra Vikas Aghadi) सरकार का समर्थन करने वाले चार छोटे दलों के नेताओं ने बुधवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एमएलसी नामित करने के राज्य मंत्रिमंडल के प्रस्ताव पर निर्णय लेने का आग्रह किया था। कोश्यारी को भेजे पत्र में, सत्तारूढ़ एमवीए का समर्थन करने वाले दलों के नेताओं ने कहा कि राज्यपाल को कारणों को स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने अब तक ठाकरे को क्यों नामित नहीं किया है।
पत्र में कहा गया था कि विधान परिषद में ठाकरे की नियुक्ति का प्रस्ताव 9 अप्रैल को भेजा गया। 28 अप्रैल को इस संबंध में दोबारा गवर्नर से आग्रह किया गया। लेकिन, उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया है।
महाराष्ट्र के सियासी संकट के बीच अब सबकी नजरें राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर टिकी हुई हैं। उद्धव कैबिनेट के सदस्य ने कहा कि कोश्यारी ने हमारी बात सुनी लेकिन उनका रवैया टाल-मटोल वाला रहा। हमें नहीं पता कि वे इसे स्वीकार करेंगे या नहीं। उन्होंने कहा कि ठाकरे के नामांकन पर अनिश्चितता के मद्देनजर सरकार विधान परिषद चुनावों के लिए चुनाव आयोग से संपर्क करने पर विचार कर रही है।
ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। संविधान के अनुसार उन्हें छह महीने के भीतर सदन की सदस्यता लेनी होगी।