‘जब किसी ने पार्टी छोड़ी ही नहीं तो ये दल-बदल कैसे?’: सुप्रीम कोर्ट में साल्वे की दलीलों से सिब्बल-सिंघवी चित, अब शिवसेना बड़ी बेंच के हवाले

उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे का शिवसेना का मामला अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के पास

शिवसेना में फ़िलहाल पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट के बीच संघर्ष चल रहा है। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को बड़ी पीठ के पास भेजने का निर्णय लिया है। साथ ही दोनों गुटों को कहा गया है कि वो अगले बुधवार (27 जुलाई, 2022) तक अपने-अपने मुद्दों को लेकर रिपोर्ट दायर करें। कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले में यथास्थिति बनाई रखी जाए।

जहाँ शिवसेना की तरफ से सपा नेता कपिल सिब्बल और कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी बतौर अधिवक्ता पेश हुए, वहीं एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पैरवी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ ऐसे संवैधानिक मुद्दे हैं, जिनका समाधान करना ज़रूरी है। साल्वे ने जहाँ मुद्दों को लेकर रिपोर्ट देने के लिए एक सप्ताह का समय माँगा, सिब्बल ने कहा कि इस मामले में और देरी ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट सभी मुद्दों को जानने के बाद बड़ी पीठ का गठन करेगी।

उद्धव ठाकरे की तरफ से महेश जेठमलानी भी पेश हुए। उद्धव गुट ने राज्यपाल के निर्णय पर भी आपत्ति जताई और स्पीकर बदले जाने को भी गलत फैसला बताया। हरीश साल्वे ने कहा कि दल-बदल का कानून तब लागू होता है जब कोई पार्टी छोड़ दें, लेकिन यहाँ पार्टी में रह कर ही एक गुट ने अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि मात्र 20 विधायकों के समर्थन से भला कोई मुख्यमंत्री कैसे बना रह सकता है? जबकि सिब्बल ने पार्टी व्हिप के उल्लंघन का आरोप लगा शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य बताया।

वहीं राज्यपाल की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कोई पार्टी किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन में होती है और फिर चुनाव बाद पाला बदल लेती है, लेकिन लोग तो उस गठबंधन के लिए वोट करते हैं। उन्होंने कहा कि अब कुछ नेताओं को लगता है कि वो मतदाताओं का सामना नहीं कर सकते, इसीलिए उन्होंने ये निर्णय लिया। जबकि कपिल सिब्बल ने एक दिन की भी देरी को खतरनाक बताते हुए कहा कि ऐसी सरकारें एक दिन भी सत्ता में नहीं रहनी चाहिए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया