महुआ मोइत्रा सरकारी आवास वापस नहीं देना चाहती: हाई कोर्ट में होगी सुनवाई, छीछालेदर के बाद लौटाना पड़ा था ‘दोस्त’ वकील का कुत्ता

न करना पड़े सरकारी घर खाली इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुँची महुआ मोइत्रा (फोटो साभार: महुआ मोइत्रा फेसबुक अकाउंट)

हाल ही में लोकसभा से निष्कासित की गईं तृणमूल कॉन्ग्रेस नेता महुआ मोइत्रा अपने सरकारी आवास का आवंटन रद्द होने से खासी परेशान हैं। बकायदा उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका डाली है कि उनके पास सरकारी आवास को खाली करने के बाद दिल्ली में रहने के लिए घर नहीं है।

दरअसल, उनके निष्कासन के बाद उन्हें डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स का आदेश लोकसभा से जारी किया गया। इसके तहत उन्हें 7 जनवरी, 2024 तक सरकारी आवास खाली करने का आदेश मिला है। इसे चुनौती देते हुए उन्होंने सोमवार (18 दिसंबर,2023) को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

दिल्ली HC में डाली गई याचिका में कहा गया, ”उन्हें (महुआ को) सरकारी घर खाली करने आदेश वक्त से पहले दिया गया है, क्योंकि याचिकाकर्ता के निष्कासन की वैधता अभी देश के सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित है।” दिल्ली हाई कोर्ट को दी गई याचिका में महुआ ने डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स के 11 दिसंबर के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हो सकता तो कम से कम उन्हें उनके सरकारी आवास में वैकल्पिक तौर पर 2024 लोकसभा के नतीजे आने तक रहने की मंजूरी दी जाए।

इस याचिका पर मंगलवार (19 दिसंबर,2023) को कोर्ट ने गौर किया। आगे दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले पर 4 जनवरी को सुनवाई करेगी। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने नोट किया कि निष्कासन के विरुद्ध मोइत्रा की याचिका पर तीन जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई है। साथ ही यह भी देखा कि उन्हें भवन सात जनवरी तक खाली करने का आदेश दिया गया है। ऐसे में पीठ ने मामले की सुनवाई चार जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

बताते चलें कि लोकसभा में टीएमसी नेता मोइत्रा को अनैतिक आचरण का दोषी पाया गया था। इसे लेकर उन्हें 8 दिसंबर, 2023 को कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से कथित तौर पर तोहफे लेने और उन्हें अपनी संसद वेबसाइट की यूजर आईडी और पासवर्ड शेयर करने पर लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था।

हालाँकि मोइत्रा ने लोकसभा के उन्हें बाहर करने की सिफारिश करने वाली आचार समिति की रिपोर्ट को अपनाने के बाद अपने निष्कासन का आदेश जारी होने से पहले सुप्रीम कोर्ट (SC) का रुख किया था। SC में इस केस की सुनवाई 3 जनवरी 2024 के बाद होने वाली है।

हाईकोर्ट के सामने में याचिका में मोइत्रा ने कहा है कि डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स का आदेश लोकसभा से उनके निष्कासन के बाद जारी किया गया है, जबकि याचिकाकर्ता यानी उनके निष्कासन की वैधता पर अभी देश के सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

हाई कोर्ट को दी गई याचिका में टीएमसी नेता महुआ ने ये तक कह डाला, “मुझे 2019 के आम चुनावों में पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर पहली बार लोकसभा भेजा गया था। टीएमसी ने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी वहाँ से अपना उम्मीदवार बनाया है।”

उनकी याचिका में आगे कहा गया है कि लोकसभा से निष्कासन होने के बाद भी वो चुनाव लड़ने के योग्य हैं। वो फिर से चुनाव लड़ेंगी। इसके लिए उन्हें अपना वक्त और ऊर्जा मतदाताओं पर फोकस करने की जरूरत होगी।

उन्होंने याचिका में कहा है कि वो दिल्ली में अकेली रहती हैं। उनके पास यहाँ रहने के लिए कोई अन्य जगह या वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सरकारी आवास से उन्हें निकाले जाने पर वो अपने चुनावी जिम्मेदारियों को पूरा करना और रहने के लिए नई जगह खोजना भी मुश्किल होगा।

मोइत्रा ने कहा इससे उन पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा, इसलिए वह आग्रह करती हैं कि उनसे 2024 के आम चुनावों के नतीजे आने तक उनके मौजूदा सरकरी घर में रहने की मंजूरी दी जाए। रहने की मंजूरी मिलने पर वो इस दौरान सरकारी आवास में रहने पर लागू होने वाले किसी भी तरह के शुल्क का भुगतान करेंगी।

बता दें कि पिछले दिनों महुआ मोइत्रा कई कारणों से चर्चा में रह चुकी हैं। उनके ऊपर ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में आरोप लगे, फिर जाँच हुई और लोकसभा से उनका निष्कासन हुआ। इसके अलावा उनके पूर्व मित्र ने उनपर ये भी इल्जाम लगाए थे कि महुआ उनका कुत्ता वापस नहीं दे रही हैं। हालाँकि तमाम फजीहत के बाद उन्होंने ये कुत्ता जय अनंत को लौटा दिया था, जिसके बारे में जानकारी देते हुए जय ने लिखा भी था- वेलकम बैक हेनरी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया