पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐलान किया है कि तृणमूल कॉन्ग्रेस पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ेगी। इस ऐलान से विपक्ष के इंडी गठबंधन को करारा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि टीएमसी ने कॉन्ग्रेस को दो सीटें देने की बात कही थीं जबकि कॉन्ग्रेस ने उनसे 10-12 सीट माँगी थी। सहमति न बनने पर ममता बनर्जी ने रास्ते अलग करने की बात कही।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ममता बनर्जी ने बताया कि उन्होंने गठबंधन की बैठक में कॉन्ग्रेस को जो भी प्रस्ताव दिया, उन सब पर कॉन्ग्रेस नहीं मानी। इसके बाद ही उन्होंने निर्णय लिया कि वो बंगाल में अकेले ही चुनाव लड़ेंगे।
उन्होंने कहा, “हमने सीट शेयरिंग को लेकर बात नहीं की। लेकिन हमारी पार्टी ने उन्हें (कॉन्ग्रेस) को प्रपोजल दिया था जो नकार दिया गया। इसलिए हमने अकेले जाने का निर्णय लिया है। कॉन्ग्रेस को 300 सीट पर लड़ने दो। क्षेत्रीय पार्टी एक होकर लड़ेंगी। हम कॉन्ग्रेस का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
उन्होंने राहुल गाँधी की न्याय यात्रा पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “शिष्टाचार के नाते उन्होंने मुझे ये जानकारी भी नहीं दी कि वह बंगाल में यात्रा करने जा रहे हैं। मैं इंडी गठबंधन का पार्ट हूँ। उन्हें मुझे कहना चाहिए था- दीदी मैं आपके राज्य में आ रहा हूँ।”
उन्होंने इंडी गठबंधन में वामपंथी दलों के होने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा विपक्षी समूह की बैठक के दौरान उन्होंने INDIA नाम का सुझाव दिया था। हालाँकि जब वह बैठक में शामिल हुईं तो देखा लेफ्ट इसे कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इस स्थिति को अस्वीकार्य बताया और कहा जिन लोगों से उन्होंने 34 सालों से लड़ाई लड़ी है उससे वो अब सहमत नहीं हो सकते।
गौरतलब है कि ममता के इस बयान से पहले कॉन्ग्रेस और टीएमसी में खटास की खबरें आ गई थीं। कॉन्ग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया में ममता को अवसरवादी कह दिया था। उन्होंने कहा था, “हम ममता बनर्जी की दया पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। कॉन्ग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ना जानती है और हमने जो दो सीटें (पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव में) जीती हैं, वे ममता और भाजपा को हराकर जीती हैं। ममता अवसरवादी हैं; वह स्वयं कॉन्ग्रेस की कृपा से 2011 में सत्ता में आईं।”