‘कितनी भी फ़ौज ले आओ, Pak से बात करनी ही पड़ेगी’: बुलडोजर से भड़कीं महबूबा मुफ़्ती, लाउडस्पीकर उतरवाए जाने से भी दिक्कत

महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो साभार: इंडिया टुडे)

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती का पाक प्रेम एक बार फिर से जाग गया है। उन्होंने भारत और पाकिस्तान को लेकर कई मुद्दों पर ‘आज तक’ को अपने विचार बताए। मुफ्ती ने कहा, “AFSPA की वजह से घाटी में लोग परेशान हो गए हैं। सुरक्षा बलों को इतनी ताकत दी गई फिर भी सरपंच मर रहे हैं, लोगों पर गोली चल रही है। तो मेरे मुताबिक हमारे घर में ही कोई ना कोई कमी है, कहीं ना कहीं हम ही फेल होते हुए नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान से बात करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है, कितनी भी फौज ले आएँ, बात तो करनी ही पड़ेगी।”

जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति के लिए उन्होंने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “कश्मीर को बर्बाद किया जा रहा है। केंद्र जम्मू-कश्मीर को पूरे तरीके से खत्म करना चाहता है। यह सरकार हमारा वजूद खत्म करना चाहती है। शायद इसलिए, क्योंकि यह मुस्लिम मेजॉरिटी राज्य है। हर तरफ से हमें कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।”

यही नहीं महबूबा मुफ्ती ने केंद्र की मोदी सरकार और बीजेपी को देश में हो रही हिंसात्मक घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अचानक से लाउडस्पीकर का मामला आया, इससे पहले हिजाब का मामला आया था, आगे हलाल का मामला आएगा। उनके अनुसार, ये सब समाज को बाँटने की साजिश लग रही है।

महबूबा ने आरोप लगाते हुए कहा कि रोजगार और बिजली-पानी का संकट है, ऐसे में सबसे आसान काम है, हिंदू-मुसलमानों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना। उन्होंने कहा, “अगर ऐसे ही चलता रहा तो भविष्य में हमारे हालात और खराब होंगे। मजहब का दुरुपयोग करके हमारा पड़ोसी तबाह हो गया था। वह आज तक इसका खामियाजा भुगत रहे हैं।”

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने भारत की तुलना पाकिस्तान से करते हुए कहा, “उन्होंने मजहब के नाम पर लोगों को बंदूकें दे दीं। हमारे देश में भी यही हो रहा है। यहाँ मजहब के नाम पर लोगों को बुलडोजर और तलवारें दी जा रही हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष नींव पर आधारित है। धर्मनिरपेक्षता हमारे डीएनए में है। बीजेपी धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को तोड़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन डीएनए तो रहेगा ही। उन्होंने कहा कि जहाँ तक मस्जिदों में लाउडस्पीकर बंद करने का सवाल है, यह उनके उसी एजेंडे का हिस्सा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया