पार्थ के बच्चे की माँ बनना चाहती थी अर्पिता मुखर्जी, थाईलैंड सहित कई देशों में बिताई रातें: ED का खुलासा – अभिनेत्री की बहन को भी दिलाई सरकारी नौकरी

पार्थ चटर्जी के साथ अर्पिता मुखर्जी (फाइल फोटो साभार: ABP Ananda)

पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री और तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के नेता रहे शिक्षक भर्ती घोटाले के आरोपित पार्थ चटर्जी फ़िलहाल जेल में बंद हैं। सेशन कोर्ट में बुधवार (28 सितंबर, 2022) को पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पार्थ को जमानत देने का विरोध किया। ED ने अपने 14,643 पन्नों के दस्तावेज कोर्ट में जमा किए हैं। ED ने खुलासा किया कि पार्थ ने अपनी पत्नी की मौत के बाद उसकी कंपनी टेक्स्ट फैब प्राइवेट लिमिटेड के अधिकांश शेयर अर्पिता के नाम कर दिए थे।

शिक्षा मंत्री रहते हुए पार्थ ने अर्पिता की बहन को सरकारी नौकरी दिलाई। एजेंसी ने दोनों की करीब 10 करोड़ रुपए की संपत्ति का ब्योरा भी कोर्ट में जमा किया है।

इसके अलावा पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को लेकर ईडी ने अपने चार्जशीट में और भी कई अहम खुलासे किए हैं। ईडी ने दावा किया है कि अर्पिता और पार्थ दोनों थाइलैंड के फुकेट गए थे। अर्पिता मुखर्जी, पार्थ के बच्चे की माँ बनना चाहती थीं। लेकिन ये कोलकाता में रहकर संभव नहीं था। इसलिए दोनों ने कई देशों की यात्रा की। पार्थ ने थाइलैंड में एक बंगला भी खरीदा था। बताया जाता है कि दोनों 2014-15 में साथ में थाईलैंड गए थे। यहीं दोनों आराम से रात गुजारते थे।

अर्पिता के शॉपिंग बिल का भुगतान भी पार्थ ही करते थे। इस बंगले की आधी हिस्सेदारी अर्पिता के पास थी। जाँच कर रहे अधिकारियों का मानना है कि थाईलैंड में संपत्तियों को एपीए यूटिलिटी सर्विसेज के नाम पर खरीदा गया था। एपीए यूटिलिटी सर्विसेज फर्म में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी साझेदार थे।

बता दें कि पश्चिम बंगाल के एसएससी घोटाले में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को ईडी ने 23 जुलाई 2022 को गिरफ्तार किया था। अपनी करीबी अर्पिता मुखर्जी के अलग-अलग फ्लैटों में मिले करोड़ों रुपए को लेकर पार्थ चटर्जी ने अलग ही कहानी बयाँ की थी। पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) ने बताया था, “मैं अर्पिता को आत्मनिर्भर बनाना चाहता था। मैं चाहता था कि वो मॉडलिंग और फिल्म इंडस्ट्री में अपना खुद का मुकाम हासिल करे। पार्टी को अपने ढेर सारे पैसे छिपाने के लिए एक सेफ जगह की तलाश थी।”

इस काम के बदले अर्पिता को कमीशन देने का वादा किया गया था। कई बड़े अधिकारी अर्पिता के नाम पर लिए गए घरों का दौरा भी कर चुके हैं।” पार्थ चटर्जी पर जेल में 24 घंटे निगरानी रखी जाती है। उन्हें कम से कम किसी कैदी से मिलने दिया जा रहा है। सीनियर जेलर खुद हर घंटे उनकी जेल में जाकर चीजों का मुआयना करते हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जेल के कैदियों का व्यवहार उनके प्रति अलग है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया