कश्मीरी आतंकी ‘मिट्टी के लाल’ हैं, हमें उन्हें बचाने की जरूरत है: महबूबा

महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीरी आतंकी को मिट्टी का लाल बताया

जम्मू-कश्मीर के पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीरी आतंकी के समर्थन में विवादास्पद बयान दिया है। अपने बयान में महबूबा ने कहा, “मैं हमेशा से कहती रही हूँ कि कश्मीरी आतंकी (लोकल मिलिटेंट) मिट्टी के लाल हैं। हमलोगों का प्रयास हर हाल में लोकल मिलिटेंट को बचाने का होना चाहिए। मैं न सिर्फ़ हुर्रियत बल्कि जम्मू-कश्मीर के ‘बंदूकधारी लड़ाकों’ के साथ भी बातचीत के पक्ष में हूँ। लेकिन इसके लिए यह समय सही नहीं है।” महबूबा का बयान ऐसे समय में आया है, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। राज्य में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए सेना लगातार छापेमारी कर रही है। पिछले साल सेना ने 250 से ज़्यादा आतंकियों को मार गिराया था।

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हालाँकि, इससे पहले भी 30 दिसंबर 2018 को मुफ़्ती ने एक संदिग्ध आतंकी के परिवार से मिलकर भारतीय सेना व गवर्नर को चेतावनी दी थी। महबूबा ने कहा था कि यदि आतंकवादियों के परिजनों के साथ उत्पीड़न नहीं रुका तो इसके ‘ख़तरनाक परिणाम’ होंगे।

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राज्यपाल ने महबूबा को दिया था जवाब

महबूबा मुफ़्ती के ‘गंभीर परिणाम’ वाले चेतावनी के बाद जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक ने उन्हें करारा जवाब दिया। सतपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विश्वविद्धालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से कहा – “मुझे महबूबा के बयान से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। वो मेरे दोस्त स्वर्गीय मुफ़्ती मुहम्मद सईद की बेटी हैं इसलिए मुझे बुरा नहीं लगा। लेकिन एक बात साफ़ है कि आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आतंकी के समर्थन में बोलना उनकी मज़बूरी है।” राज्यपाल ने यह भी कहा था कि आतंकियों के परिवार से सेना या पुलिस की कोई दुश्मनी नहीं है। यदि कुछ गलत होगा तो सरकार उच्च स्तरीय जाँच कराएगी।

आतंकी को शहीद बता चुकी है महबूबा

मुफ़्ती महबूबा इन दिनों अपने पिता के विरासत को सँभालने में लगी हुई है। पिछले दिनों अपने पिता मुफ़्ती मुहम्मद सईद के मज़ार पर उनके आत्मा की शांति के लिए वो दुआ करने पहुँची थीं। बिजबिहाड़ा में अपने पिता के आत्मा कि शांति के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में सेना की कार्रवाई में मारे गए आतंकी को महबूबा ने शहीद बताया। उन्होंने नौजवानों से कहा था, “मैं आपकी माँ समान ही हूँ। कुछ नौजवानों को जिन्हें बंदूक उठाकर मरने के लिए मजबूर किया गया, उनकी मौत से मुझे बहुत पीड़ा हो रही थी।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया