नहीं सहेंगे राम का अपमान: पहली बार साथ आए दो पुराने विरोधी, तमिल राजनीति में बड़ी हलचल

पहली बार ऐसा हुआ है जब स्वामी ने रजनीकांत का समर्थन किया है

तमिलनाडु की द्रविड़ राजनीति से इतर वहाँ एक ऐसी जुगलबंदी देखने को मिल रही है, जिससे वहाँ के सियासी पटल पर बड़ा बदलाव आ सकता है। सुब्रह्मण्यम स्वामी आज तक सुपरस्टार रजनीकांत का विरोध करते आए हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब दोनों दिग्गज किसी मुद्दे पर एकमत से आवाज़ उठा रहे हैं। अब तक स्वामी ने रजनीकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रखा था लेकिन अब उन्होंने कहा है कि रजनीकांत द्वारा पेरियार के ख़िलाफ़ बयान देना यह दिखाता है कि उन्होंने काफ़ी सोच-समझ कर मजबूती से स्टैंड लिया है।

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि सुपरस्टार को कभी भी किसी भी प्रकार की वैधानिक मदद की ज़रूरत पड़ती है तो वो इस मामले में कोर्ट में उनका पक्ष रखने को तैयार हैं। ख़ुद स्वामी ने स्वीकार किया कि रजनीकांत को लेकर उनके रुख में बदलाव आया है। उन्होंने माना कि पेरियार ने 1971 की एक रैली में भगवान राम व माँ सीता का अपमान किया था और बाद में ‘तुग़लक़’ पत्रिका ने इसे प्रकाशित भी किया था। इससे पहले स्वामी यह कहते आ रहे थे कि रजनीकांत को राजनीतिक मुद्दों की समझ नहीं है।

वहीं सोमवार (जनवरी 21) की शाम को बड़ी ख़बर आई कि रजनीकांत और सुब्रह्मण्यम स्वामी ने फोन पर एक-दूसरे से बातचीत की है। जहाँ एक तरफ तमिल अभिनेता ने स्वामी को उनके साथ के लिए धन्यवाद दिया, स्वामी ने उन्हें बधाई दी। स्वामी ने फोन पर सुपरस्टार से कहा कि वो इस मुद्दे पर उनके साथ मज़बूरी से खड़े हैं और कोर्ट में भी उनका पक्ष रखेंगे। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने माना कि पेरियार ने द्रविड़ राजनीति के नाम पर हिन्दू देवी-देवताओं का मज़ाक उड़ाया, कई बार उनका अपमान किया और हिंदुत्व के ख़िलाफ़ भली-बुरी बातें कही।

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कहा जा रहा है कि ‘दरबार’ की सफलता के बाद रजनीकांत अपने राजनीतिक रुख को लेकर बड़ा ऐलान कर सकते हैं। उनकी फ़िल्म ने अब तक 11 दिनों में बॉक्स ऑफिस पर 223 करोड़ रुपए का कारोबार किया है। तमिलनाडु में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। रजनीकांत ने हाल ही में कमल हासन से मुलाक़ात की थी। अब पूरी तमिलनाडु भाजपा उनके बयान के साथ खड़ी हो गई है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया