जिस घोटाले में सोनिया-राहुल गाँधी आरोपित, उसमें ₹752 करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त कर सकती है ED: नेशनल हेराल्ड केस में प्राधिकरण ने कार्रवाई को सही ठहराया

इस मामले में राहुल- गाँधी सोनिया गाँधी पर गड़बड़ी के आरोप हैं (चित्र साभार: Business Today)

PMLA प्राधिकरण ने कॉन्ग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड और उससे जुड़ी हुई कम्पनियों की चल-अचल सम्पत्ति के अटैच करने को सही ठहराया है। ₹752 करोड़ की संपत्तियों पर यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय(ED) ने नवम्बर, 2023 में की थी। प्राधिकरण ने माना कि जिन संपत्तियों को अटैच किया गया है, वह आपराधिक तरीके से अर्जित की गई थीं।

अब बुधवार (10 अप्रैल, 2024) को इस मामले में हुई सुनवाई में ED की कार्रवाई को प्राधिकरण ने भी सही ठहराया है। प्राधिकरण 6 महीने के भीतर अटैच की गई सम्पत्ति के विषय में निर्णय करती है कि यह पैसों की गड़बड़ी से सम्बंधित हैं या नहीं। ED इस निर्णय के बाद अब संपत्तियों को जब्त कर सकती है।

प्राधिकरण ने कहा कि यह दोनों कम्पनियाँ साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाईं। दोनों कम्पनियाँ यह सिद्ध करने में विफल रहीं कि इनका अपराध से लेना-देना नहीं है। प्राधिकरण ने यह भी कहा ED के इस बात के सम्बन्ध काफी साक्ष्य हैं कि यह संपत्तियां अपराध से अर्जित की गईं।

नवम्बर, 2023 में ED ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और मेसर्स यंग इंडियन (YIL) की ₹751.9 करोड़ की संपत्तियाँ अटैच कर ली थीं। इसमें एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की संपत्ति की कुल कीमत ₹661.69 करोड़ है, जो दिल्ली, लखनऊ और मुम्बई जैसे शहरों में फैली हुई हैं। वहीं, यंग इंडियन की प्रॉपर्टी ₹90.21 करोड़ की है, जो शेयरों के रूप में है।

क्या है पूरा मामला?

इस मामले में दिल्ली के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा एक निजी शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद जारी प्रक्रिया के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच शुरू की थी। अदालत ने माना था कि यंग इंडियन सहित सात आरोपितों ने प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 406 के तहत आपराधिक विश्वासघात, आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी और धोखाधड़ी से संपत्ति दिलवाने, आईपीसी की धारा 403 के तहत संपत्ति की बेईमानी से गबन और आईपीसी की धारा 120बी के तहत आपराधिक षड्यंत्र के अपराध का मामला है।

अदालत ने माना था कि आरोपितों ने प्लानिंग के तहत यंग इंडियन के माध्यम से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की सैकड़ों करोड़ रुपए की संपत्तियों को हड़पने की आपराधिक साजिश रची थी।

बता दे कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को अखबार प्रकाशित करने के उद्देश्य से भारत के विभिन्न शहरों में रियायती दरों पर जमीन दी गई थी। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने 2008 में अपना प्रकाशन बंद कर दिया और संपत्तियों का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए करना शुरू कर दिया।

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमेटी (एआईसीसी) को ₹90.21 करोड़ का ऋण चुकाना था, हालाँकि एआईसीसी ने ₹90.21 करोड़ के उक्त ऋण को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से वसूली योग्य नहीं माना और इसे ₹50 लाख में एक नई बनाई गई कंपनी यंग इंडियन को बेच दिया, जिसके पास ₹50 लाख भी देने का कोई स्रोत नहीं था।

अपने इस कृत्य से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के शेयरधारकों के साथ-साथ कॉन्ग्रेस पार्टी के दाताओं के साथ भी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड और कॉन्ग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा धोखाधड़ी की गई।

ED की जाँच से पता चला कि एआईसीसी से ₹90.21 करोड़ का लोन पाने के बाद यंग इंडियन ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से या तो लोन का भुगतान करने या फिर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के इक्विटी शेयरों को देने की डिमाँड की। इसके बाद एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने एक आम बैठक (ईजीएम) आयोजित की और शेयर पूँजी बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया, जिसमें यंग इंडियन के लिए ₹90.21 करोड़ के नए शेयर जारी करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

यंग इंडियन को शेयर मिलने के बाद एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के 1000 से अधिक वास्तविक शेयर धारकों की कंपनी में हैसियत महज 1 प्रतिशत की रह गई और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड कंपनी पूरी तरह से यंग इंडियन कंपनी की सहायक कंपनी बन गई।

यही नहीं, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की संपत्तियों पर भी यंग इंडियन ने कब्जा कर लिया। इस तरह से महज 50 लाख रुपए में बनाई गई यंग इंडियन नाम की कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनी की मालिक बन गई। यंग इंडियन के मालिकान, जिसमें राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी हैं, उनके पास उस एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की पूरी कमान आ गई, जो अब तक 1000 शेयरधारकों की कंपनी थी। राहुल गाँधी-सोनिया गाँधी के पास यंग इंडियन में 76% शेयर हैं।

ED ने बताया है कि इस पूरे मामले की जाँच अभी जारी है। ये पूरा घोटाला ₹2000 करोड़ से अधिक का है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया