राहुल के बयानों पर जावड़ेकर का करारा जवाब, बोले- उन्‍हें ‘झूठ ऑफ द ईयर’ का अवार्ड मिलना चाहिए

राहुल गाँधी और प्रकाश जावडेकर

नई दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी पर आज (दिसंबर 27, 2019) जमकर निशाना साधा। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए राहुल गाँधी को 2019 का सबसे बड़ा झूठ बताया। साथ ही उन्होंने राहुल गाँधी के ‘एनपीआर को गरीबों का टैक्स’ बताने वाले बयान पर कहा कि टैक्स और करप्शन तो कॉन्ग्रेस का कल्चर है। कॉन्ग्रेस हर उस चीज का विरोध करती है जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगती है या वो खत्म होता है।

उन्होंने इस सम्मेलन में राहुल गाँधी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “आज उन्होंने (राहुल गाँधी) कहा कि एनपीआर गरीब पर टैक्स है। मैं सोच रहा था कि यह टैक्स कहाँ से आया, एनपीआर तो पॉपुलेशन रजिस्टर है। टैक्स कॉन्ग्रेस का कल्चर है। जैसे- जयंती टैक्स, कोयला टैक्स, टू जी टैक्स, जीजाजी टैक्स।

प्रकाश जावड़ेकर ने राहुल गाँधी पर उनके बयानों को लेकर हमला बोलते हुए कहा कि राहुल गाँधी कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष थे तब भी और नहीं है तब भी लगातार झूठ बोलते हैं। इसलिए 2019 का झूठ ऑफ द ईयर राहुल गाँधी को मिल सकता है। उन्होंने कहा पहले राहुल गाँधी के बयानों से परिवार परेशान था अब जनता और पूरी कॉन्ग्रेस परेशान है।

सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कॉन्ग्रेस से 2 माँगे करते हुए कहा, “झूठ बोलना बंद करें ताकि देश गुमराह न हो। देश ने आपको रिजेक्ट किया है। इसके अलावा कर्ज माफी जैसे झूठे वादे करना बंद करें, जो कभी पूरे नहीं किए।”

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जावड़ेकर ने आगे राहुल गाँधी से कहा कि राजस्थान में कॉन्ग्रेस सरकार है, जहाँ एक अस्पताल में एक महीने में 77 बच्चों की मृत्यु हुई है। अगर राहुल गाँधी को जाना है तो वहांँ जाएँ और अपनी सरकार को सुधारें। उसके बजाय ये बेतुके बयान देना बंद करें।

केंद्रीय मंत्री ने इसके बाद पूरी कॉन्ग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए एनपीरआर का मतलब बताया और कहा कि कॉन्ग्रेस हर उस चीज का विरोध करती है, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगती है।

उन्होंने बताया, “भ्रष्टाचार कॉन्ग्रेस की राजनीति का एक मात्र आधार है। इसलिए जिन-जिन चीजों से भ्रष्टाचार पर लगाम लगती है या जिनसे भ्रष्टाचार खत्म होती है तो कॉन्ग्रेस उसका विरोध करती है। एनपीआर से क्या होता है? इससे गरीब की पहचान होती है। 2010 में बने एनपीआर के डेटा के आधार पर तमाम राज्यों ने अपने यहाँ लाभार्थियों का चयन किया। अब वही 2020 में हो रहा है। लेटेस्ट स्थिति सामने आएगी। लाभार्थियों की पहचान में एनपीआर का बहुत बड़ा योगदान होता है। आधार की वजह से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर शुरू हुआ। सैकड़ों योजनाओं के 9 लाख करोड़ रुपए लोगों के खाते में सीधे जमा हो गए।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया