राजस्थान सरकार की करतूत: चैप्टर नहीं हटा सके तो सावरकर के आगे से ‘वीर’ हटाया

स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर

राजस्थान में पिछले साल दिसंबर में कॉन्ग्रेस सत्ता पर काबिज हुई। राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के साथ ही पाठ्यपुस्तकों में भी विचारधारा का टकराव देखने को मिल रहा है। अशोक गहलोत सरकार ने सत्ता में आने के 6 महीने के भीतर स्कूल की तमाम किताबों में बदलाव किया है। अशोक गहलोत ने राज्य बोर्ड के अतंर्गत आने वाले स्कूलों के छात्रों की किताबों में कई बदलाव किए हैं। इनमें ऐतिहासिक घटनाओं, शख्सियतों से लेकर एनडीए सरकार के कार्यकाल में लिए गए फैसलों में बदलाव किए गए।

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राजस्थान सरकार ने कक्षा 12 की पाठ्यपुस्तक में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर वाले चैप्टर में सावरकर के नाम के आगे से ‘वीर’ हटा दिया है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि कॉन्ग्रेस की नज़र में सावरकर, वीर नहीं हैं। दरअसल, ये बदलाव राज्य में 13 फरवरी को पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति द्वारा की गई सिफारिशों के बाद किया गया है। इस समिति का गठन इसलिए किया गया था, ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि कहीं एनडीए सरकार द्वारा राजनीतिक हितों को साधने के लिए इतिहास के साथ छेड़-छाड़ तो नहीं किया गया था।

जानकारी के मुताबिक, 12वीं की इतिहास की पुरानी किताब में स्वतंत्रता संग्राम वाले चैप्टर में सावरकर के नाम के आगे ‘वीर’ लिखा था। इस अध्याय में स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में दिए उनके योगदान के बारे में काफी विस्तार से लिखा गया था। वहीं, नई किताब में सावरकर के नाम से ‘वीर’ शब्द हटा दिया गया है और उनका नाम अब विनायक दामोदर सावरकर हो गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे अंग्रेजों ने सेल्यूलर जेल में उन्हें प्रताड़ित किया था और उन्होंने दूसरी दया याचिका में खुद को पुर्तगाल का बेटा बताया था।

यह भी लिखा है कि सावरकर ने अंग्रेजों को चार बार दया याचिका भेजी। सावरकर ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की तरफ कार्य किया। इसके साथ ही इसमें लिखा है कि सावरकर ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन और 1946 में पाकिस्तान के निर्माण का विरोध किया। 30 जनवरी, 1948 को गाँधी की हत्या के बाद, उन पर हत्या की साजिश रचने और गोडसे की सहायता करने के आरोप में मुकदमा चलाया गया। हालाँकि, बाद में उन्हें मामले से बरी कर दिया गया।

वीर सावरकर के नाम के आगे से वीर हटाने के साथ ही पाठ्यपुस्तक में और भी कई सारे बदलाव किए गए हैं। गौरतलब है कि, राजस्थान सरकार ने पहले तो स्कूली पाठ्यक्रम से विनायक दामोदर सावरकर से जुड़े चैप्टर को हटाने का फैसला किया था, लेकिन भाजपा के विरोध के बाद फैसला पलटा गया। अब विनायक दामोदर सावरकर का चैप्टर पाठ्यक्रम में तो है, लेकिन राजस्थान सरकार की नजर में अब वो ‘वीर’ नहीं है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया