संबित पात्रा पर टूट पड़े लिबरल्स: कॉन्ग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी की टीवी चैनल पर बहस के बाद हुई मौत को बनाया हथियार

संबित पात्रा और राजीव त्यागी (फाइल फोटो)

कॉन्ग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी को टीवी में जारी एक परिचर्चा के दौरान कार्डियक अरेस्ट आया। उसके कुछ ही समय बाद उनकी मृत्यु हो गई लेकिन लिबरल गैंग और कॉन्ग्रेस समर्थकों का काम यहीं से शुरू हो गया। उन्होंने इसके लिए भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा को ज़िम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया। क्योंकि टीवी की उस परिचर्चा में संबित पात्रा भी शामिल हुए थे। कॉन्ग्रेस समर्थकों ने राजीव त्यागी की मृत्यु को हथियार बना कर संबित पात्रा के खिलाफ़ ज़हर उगलना शुरू कर दिया।  

कॉन्ग्रेस समर्थक साकेत गोखले ने नफ़रत फैलाने के इस अभियान की अगुवाई की। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि संबित पात्रा को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। क्योंकि राजीव त्यागी ने साँस संबित पात्रा की मौजूदगी में ली।  

https://twitter.com/SaketGokhale/status/1293605567626321920?ref_src=twsrc%5Etfw

इसके बाद मोहम्मद आसिफ़ खान नाम के व्यक्ति ने भी संबित पात्रा को राजीव त्यागी की मृत्यु के लिए दोषी ठहराया।  

https://twitter.com/imMAK02/status/1293606088953040897?ref_src=twsrc%5Etfw

इसके बाद हंसराज मीणा नाम के ट्विटर एकाउंट ने भी राजीव त्यागी को इंसाफ़ दिलाने की बात लिखी। इसके लिए संबित पात्रा को गिरफ्तार करने की माँग उठाई।  

https://twitter.com/HansrajMeena/status/1293586274360504326?ref_src=twsrc%5Etfw

कॉन्ग्रेस समर्थक सिर्फ इतने पर ही नहीं रुके। इसके बाद उन्होंने संबित पात्रा को हत्यारा तक घोषित कर दिया।  

https://twitter.com/AnshumanSail/status/1293606114752225281?ref_src=twsrc%5Etfw

कॉन्ग्रेस समर्थकों के बाद आम आदमी पार्टी के समर्थक भी इस अभियान में उतर गए।  

https://twitter.com/abhijeet_dipke/status/1293576480849444864?ref_src=twsrc%5Etfw

स्वघोषित फैक्ट चेकर ने भी इस घटना पर अपना फैसला सुनाने में देरी नहीं की।  

https://twitter.com/zoo_bear/status/1293596147341115392?ref_src=twsrc%5Etfw

राजीव त्यागी 52 साल के थे और पिछले कई सालों से टीवी परिचर्चाओं में कॉन्ग्रेस का पक्ष रखते थे। ख़बरों के मुताबिक़ परिचर्चा के बाद उन्होंने चाय माँगी और इसके बाद तकलीफ़ होने पर आराम करने के लिए लेट गए। जैसे उन्हें चाय दी गई तब उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।  

अफ़सोस की बात है कि यह ऐसा पहला मौक़ा नहीं है जब किसी की मौत पर इस तरह की गंदी राजनीति की जा रही है। 2 साल पहले आतंकवादियों ने शुजात बुख़ारी की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इसके बाद लिबरल्स ने वैज्ञानिक और स्तंभकार आनंद रंगनाथन को घेरना शुरू कर दिया। लिबरल्स का कहना था कि घटना के एक दिन पहले रंगनाथन बुख़ारी के साथ परिचर्चा में शामिल हुए थे। आनंद रंगनाथन ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि बुख़ारी के धार्मिक विचार कुछ भी कहे जा सकते हैं लेकिन उदारवादी नहीं। इसके बाद लिबरल्स ने बुख़ारी की हत्या का आरोप आनंद रंगनाथन पर लगा दिया था।  

संबित पात्रा और राजीव त्यागी 11 अगस्त 2020 को बेंगलुरु में हुए दंगों पर चर्चा कर रहे थे। जो सोशल मीडिया पर प्रोफेट मोहम्मद के संबंध में टिप्पणी करने के बाद शुरू हुआ था। दंगों के दौरान बेंगलुरु के कई इलाकों में आग लगाई गई, तोड़-फोड़ हुई, 3 लोगों की जान गई और कई लोग घायल हुए। राजीव त्यागी इस्लामी आक्रांताओं पर बहस के दौरान गुस्सा हुए।  

उन्होंने कहा इतने हमलों के बाद भी देश संरक्षित है फिर “हिंदू असुरक्षित है” जैसा प्रचार किया जाता है। इसके अलावा राजीव त्यागी ने यह भी कहा जिस व्यक्ति ने मोहम्मद पर टिप्पणी की है उसे सलाख़ों के पीछे ही होना चाहिए। दंगे इसलिए हुए क्योंकि पुलिस ने शिकायत दर्ज करने में देरी की। लेकिन सबसे ज़्यादा हैरानी की बात यह थी कि आखिर कैसे राजीव त्यागी की मृत्यु को आधार बना कर संबित पात्रा को निशाना बना गया।  

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया