‘जैसे HIV और कुष्ठ सामाजिक कलंक, वैसा ही है सनातन’: उदयनिधि के बाद अब ए राजा के बिगड़े बोल, RJD नेता बोले- तिलकधारियों ने देश को गुलाम बनाया

ए राजा और उदयनिधि (साभार: टीवी9 भारतवर्ष)

सनातन धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का सिलसिला रूक नहीं रहा है। तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि के बाद अब डीएमके सांसद ए राजा ने सनातन धर्म की तुलना HIV और कुष्ठ रोग जैसी बीमारियों से तुलना की है। वहीं, राजद नेता जगदानंद सिंह ने कहा कि तिलक लगाकर घुमने वालों ने देश को गुलाम बनाया।

दरअसल, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया के मच्छर तथा कोरोना से की थी। साथ ही कहा था कि सनातन ने लोगों को जातियों के आधार पर बाँटा। अब ए राजा ने इसकी तुलना असाध्य बीमारियों से की है। इतना ही नहीं, ए राजा ने उदयनिधि का बचाव भी किया।

डीएमके सांसद ए राजा ने कहा कि सनातन धर्म पर उदयनिधि का रुख बहुत नरम था। इसकी तुलना सामाजिक कलंक वाली कुछ बीमारियों से की जानी चाहिए, जबकि उदयनिधि ने इसकी तुलना डेंगू और मलेरिया से की है। राजा ने कहा, “सनातन धर्म की तुलना HIV और कुष्ठ रोग जैसी सामाजिक कलंक वाली बीमारियों से की जानी चाहिए।” 

वहीं, I.N.D.A. गठबंधन का हिस्सा बिहार के राष्ट्रीय जनता दल के नेता जगदानंद सिंह ने भाजपा और RSS पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि तिलक लगाकर घुमने वालों ने भारत को गुलाम बनाया। RJD बिहार के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा, “देश गुलाम किस समय हुआ? क्या उस समय कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद, राम मनोहर लोहिया जैसे नेता थे?”

राजद के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जगदानंद सिंह ने भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में हिंदू मुस्लिम को बाँटने से काम नहीं चलेगा और ना ही देश मंदिर बनाओ या मस्जिद तोड़ो से चलेगा।

जगदानंद सिंह के बयान पर बिहार भाजपा के प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि भारत को गुलाम वैसे टीकाधारी लोगों ने बनाया, जो सत्ता के लिए, कुर्सी के लिए, पद के लिए, राज्य के लिए अपना सब कुछ…. जमीर से लेकर जागीर और धर्म तक को बेच दिया। उन्होंने लालू यादव और नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग पुत्र को मुख्यमंत्री बनाने के लिए और कुछ लोग खुद प्रधानमंत्री बनने के लिए नकली जनेऊ पहन रहे हैं और नकली बाइबल पढ़ रहे हैं। 

उधर, एमके स्टालिन ने अपने बेटे उदयनिधि के बयान के बाद उनका बचाव किया है। स्टालिन ने कहा कि उदयनिधि ने अनुसूचित जातियों, जनजातियों और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करने वाले सनातन सिद्धांतों पर अपने विचार व्यक्त किए थे। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म या धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुँचाने का कोई इरादा नहीं था।

दरअसल, सनातन धर्म मिटाने की बात कही थी। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए जा रहे उनके भाषण की एक वीडियो क्लिप में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “सनातन धर्म को खत्म करने के लिए इस सम्मेलन में मुझे बोलने का मौका देने के लिए मैं आयोजकों को धन्यवाद देता हूँ। मैं सम्मेलन को ‘सनातन धर्म का विरोध’ करने के बजाय ‘सनातन धर्म को मिटाओ‘ कहने के लिए आयोजकों को बधाई देता हूँ।”

उदयनिधि ने कहा, “कुछ चीजें हैं जिनका हमें उन्मूलन करना है और हम केवल विरोध नहीं कर सकते। मच्छर, डेंगू, मलेरिया, कोरोना ये सभी चीजें हैं जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें मिटाना है। सनातन ​​भी ऐसा ही है। विरोध करने की जगह सनातन ​​को ख़त्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए।”

उन्होंने सवालिया लहज़े में पूछा, “सनातन क्या है? यह संस्कृत भाषा से आया शब्द है। सनातन समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ होने के अलावा कुछ नहीं है। सनातन का क्या अभिप्राय है? यह शाश्वत है, जिसे बदला नहीं जा सकता, कोई सवाल नहीं कर सकता है। यही इसका मतलब है। सनातन ने लोगों को जातियों के आधार पर बाँटा है और इसे बदला नहीं जा सकता।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया