‘लालू यादव ने मुस्लिमों का हक़ मारा’: अररिया में मंच पर ही फूट-फूट कर रोने लगे सरफ़राज़ आलम, कटिहार में अशफाक करीम का इस्तीफा – दोनों रहे हैं सांसद

अररिया में मंच पर रोए सरफ़राज़ आलम (बाएँ), कटिहार में अशफाक करीम का राजद से इस्तीफा (दाएँ)

बिहार में मुस्लिम नेताओं में राजद के प्रति नाराज़गी देखने को मिल रही है। बता दें कि लालू यादव की पार्टी ने अब तक 22 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें सिर्फ 2 मुस्लिम हैं। जबकि यादव समाज के 8 नेताओं को टिकट दिया गया है। पूर्व सांसद सरफ़राज़ आलम और अशफाक करीम ने तो खुल कर नाराज़गी जताई है। राजद समर्थक अक्सर MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण की बात करते रहे हैं, लेकिन लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर जातिवाद टूट जाता है।

मंच पर फूट-फूट कर रोने लगे सरफ़राज़ आलम

बिहार के अररिया में पूर्व लोकसभा सांसद सरफ़राज़ आलम मंच पर ही रोने लगे। वहाँ मौजूद समर्थकों ने किसी तरह उन्हें सँभाला। सरफ़राज़ आलम पर अररिया सहित कई जिलों में कई मुक़दमे दर्ज हैं। अब उन्होंने लालू यादव पर टिकट बेचने का आरोप लगाया है। जदयू विधायक रहे सरफ़राज़ आलम पर राजधानी एक्सप्रेस में एक जोड़े के साथ बदतमीजी का भी आरोप है। वीडियो में देखा जा सकता है कि वो मंच पर लगातार रोए जा रहे हैं और लोग उन्हें चुप करा रहे हैं।

अररिया से उनके छोटे भाई शाहनवाज़ आलम को टिकट दिया गया है। इन दोनों के पिता तस्लीमुद्दीन 8 बार विधायक रहे हैं। सीमांचल में उनका अच्छा प्रभाव था। वो पूर्णिया, अररिया और किशनगंज से 5 बार सांसद बने थे। वहीं जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र से सरफ़राज़ 4 बार और शाहनवाज दूसरी बार विधायक बने हैं। उन्होंने AIMIM के टिकट पर अपने बड़े भाई को ही हराया था, फिर राजद में शामिल हो गए थे। अब फिर से दोनों भाइयों में अदावत देखने को मिल रही है।

पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम का RJD से इस्तीफा

उधर पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम ने लालू यादव की पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राजद सुप्रीमो पर मुस्लिमों का हक़ मारने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राजद ने जनसंख्या के हिसाब से मुस्लिमों को सम्मानजनक हिस्सेदारी नहीं दी, ऐसे में पार्टी के साथ काम करना असंभव है। उन्होंने अपने त्यागपत्र में लालू यादव को लिखा है कि आपने ‘जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ की बात की, लेकिन मुस्लिमों का हक़ मारा गया।

उन्होंने राजद की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अशफाक करीम कटिहार स्थित अल-करीम यूनिवर्सिटी के कुलपति भी हैं। उन्होंने कटिहार मेडिकल कॉलेज की भी स्थापना की है, जिसके वो मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। अशफाक करीम ‘कोसी बेदारी मोर्चा’ भी चलाते हैं। वो मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के नाम पर घूस लेने और आर्म्स एक्ट के मामले में जेल भी जा चुके हैं। 2018 में उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया था। अशफाक करीम के जाने से कोसी क्षेत्र में राजद को नुकसान होगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया