55 लाख आयुष्मान कार्ड्स, 30 लाख LPG कनेक्शन: इन योजनाओं को धरातल पर उतार कर भी हारी BJP

मुख्यमंत्री रघुबर दास और पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में इन योजनाओं को गिनाया भी

झारखण्ड में राज्य सरकार ने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को धरातल पर लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि आँकड़े कुछ ऐसी ही कहानी बयाँ कर रहे हैं। अगर कुल वोटों की बात करें तो राज्य में भाजपा को ताज़ा विधानसभा चुनाव में 50 लाख 22 हज़ार 374 (5,022,374) वोट मिले। अगर सरकारी योजनाओं की बात करें तो मोदी सरकार की बड़ी योजनाओं का लाभ इससे कहीं ज़्यादा लोगों को मिला। भाजपा को राज्य में 25 सीटें आई हैं और हेमंत सोरेन की झामुमो 30 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है।

सरकारी योजनाओं के आँकड़ों पर एक नज़र डालने से हमें पता चलेगा कि पिछले कुछ सालों में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई जन कल्याणकारी योजनाओं के मामले में झारखण्ड का कैसा प्रदर्शन रहा?

आयुष्मान भारत: 55 लाख लोगों को दिए गए कार्ड्स

अगर ‘आयुष्मान भारत योजना’ की ही बात करें तो भाजपा को जितने वोट मिले, उससे 5 लाख से भी ज़्यादा लोगों को इस योजना का लाभ दिया गया। आँकड़ों के अनुसार, 55 लाख 2 हज़ार 570 (55,02,570) लोगों को इ-कार्ड्स दिए गए। राज्य के 654 अस्पतालों को इस योजना के तहत सूचीबद्ध किया गया है। इन आँकड़ों से पता चलता है कि भाजपा ने जिन लोगों को हेल्थकेयर स्कीम से जोड़ा, उससे 5 लाख कम लोगों ने उसे वोट दिया। ये योजना झारखण्ड से ही लॉन्च की गई थी। राज्य में 57 लाख लोगों को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था।

उज्ज्वला: 30 लाख गैस कनेक्शन

झारखण्ड में उज्ज्वला योजना का प्रदर्शन काफ़ी शानदार रहा। राज्य सरकार ने दावा किया था कि ये देश का पहला राज्य है, जहाँ गैस कनेक्शन के साथ मुफ्त में ओवन और पूरा भरा हुआ सिलिंडर दिया गया। अब तक राज्य में 31 लाख से भी ज़्यादा गैस कनेक्शन बाँटे गए हैं। अगस्त 2019 में रघुबर सरकार ने एक बार फिर से 12 लाख नए एलपीजी गैस कनेक्शन बाँटने का अभियान शुरू किया था। देशभर में इस योजना के तहत एक सिलिंडर दिया जाता था लेकिन झारखण्ड सरकार ने लाभार्थियों को 2 सिलिंडर दिया। पीएम मोदी ने हर जनसभा में उज्ज्वला का जिक्र किया था लेकिन शायद इनमें से सब वोटों में तब्दील नहीं हो सका।

कृषि आशीर्वाद योजना: 20 लाख किसानों को मिला लाभ

ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार ने सिर्फ़ केंद्र की योजनाओं को लागू करने में ही चपलता दिखाई। रघुबर दास की सरकार ने अपनी योजनाओं को भी बखूबी लागू किया। जहाँ एक तरफ केंद्र की पीएम किसान सम्मान योजना के तहत किसानों को 6 हज़ार रूपए सालाना दिए गए, ‘मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद’ योजना के तहत भी 5 से 25 हज़ार रूपए किसानों को प्रतिवर्ष मिले। केंद्र की योजना का लाभ 8 लाख किसानों को मिला और राज्य सरकार की योजना 20 लाख 56 हज़ार किसानों तक पहुँची। इसके तहत 11 लाख किसानों को पहली क़िस्त में ही जोड़ लिया गया था।

तेजस्विनी योजना: 10 लाख किशोरियों को प्रशिक्षण

भाजपा ने महिला कल्याण मंत्रालय लुइस मरांडी को सौंपा था। 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हरा कर लुइस विधायक बनी थीं। उन्होंने ‘तेजस्विनी योजना’ के तहत 14-24 वर्ष की युवतियों को कौशल प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम चलाया, ताकि उन्हें रोज़गार मिलने में समस्या न हो।

https://twitter.com/dasraghubar/status/971642462916825089?ref_src=twsrc%5Etfw

इस योजना से 10 लाख युवतियों व किशोरियों को जोड़ा गया। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत 72 हज़ार से कम वार्षिक आय वालों को 30 हज़ार रुपए दिए गए। वहीं मुख्यमंत्री सुकन्या योजना के तहत बालिका व उसके परिजनों के खाते में रुपए डाले गए। इन सबके बावजूद रघुबर दास अपनी सरकार नहीं बचा पाए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया