‘जब रावण की लंका में बुर्क़ा बैन हो सकता है तो राम की अयोध्या में क्यों नहीं’, भारत में उठी माँग

अल्पसंख्यक कॉलेज में बुर्क़ा पहनने पर लगा प्रतिबंध, मुस्लिम संगठनों ने जताई आपत्ति

महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने केंद्र सरकार से भारत में बुर्क़ा पर प्रतिबन्ध लगाने की माँग की है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में श्री लंका सरकार द्वारा ईस्टर हमले के बाद बुर्क़ा पर प्रतिबन्ध लगाने के निर्णय का स्वागत करते हुए एक संपादकीय लिखा गया है। इसमें भारत सरकार से भी कुछ इसी तरह की माँग की गई है।

सामना में प्रकाशित संपादकीय

बता दें कि श्री लंका सरकार ने चेहरा ढँकने वाले बुर्क़ा का प्रयोग बैन कर दिया है। एक इमरजेंसी क़ानून के माध्यम से इस नियम को लागू करते हुए सरकार ने कहा कि किसी भी प्रकार से ऐसी चीजों का सार्वजनिक तौर पर उपयोग प्रतिबंधित रहेगा, जिससे व्यक्ति की पहचान छुपती हो। श्री लंका के एक इस्लामी संगठन ने भी महिलाओं को बुर्क़े का प्रयोग न करने की सलाह दी है।

https://twitter.com/punjabkesari/status/1123459533895012354?ref_src=twsrc%5Etfw

शिवसेना ने अपने संपादकीय में इस पर विचार व्यक्त करते हुए लिखा है:

“सरकारी आँकड़ें चाहे जो भी हों, फिर भी कोलंबो के बम विस्फोट में 500 से अधिक मासूमों की बलि चढ़ी है। लिट्टे के आतंक से मुक्त हुआ यह देश अब इस्लामी आतंकवाद की चपेट में आ गया है। भारत, ख़ासकर इसका जम्मू-कश्मीर प्रांत उसी इस्लामी आतंकवाद से ग्रसित है। सवाल सिर्फ़ ये नहीं है कि श्रीलंका, फ्रांस, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन जैसे देश इस तरह के सख़्त क़दम क्यों उठा पाए, सवाल यह है कि उसी तरह के कदम हम कब उठाने वाले हैं?”

“भीषण बम विस्फोट के बाद श्री लंका में बुर्क़ा और नक़ाब सहित चेहरा ढकने वाली हर चीज पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लिया गया। हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं और पीएम मोदी को भी श्री लंका के राष्ट्रपति के क़दमों पर चलते हुए हमारे देश में भी ‘बुर्क़ा और उसी तरह के नक़ाब’ पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। ये माँग राष्ट्रहित में है।”

भारत में बुर्क़ा पर प्रतिबन्ध लगाने की माँग अकेले शिवसेना ने नहीं की है। हिन्दू सेना नामक संगठन ने भी गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर सार्वजानिक व निजी संस्थानों में सार्वजनिक तौर पर बुर्क़ा या नक़ाब के प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगाने की माँग की है। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने शिवसेना की इस माँग पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बुर्क़ा पहनने वाली सभी महिलाएँ आतंकवादी नहीं होती हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर वे आतंकवादी हैं तो उनका बुर्क़ा हटना चाहिए। श्री लंका के इस्लामिक विद्वानों का कहना है कि थोड़े समय के लिए वे सरकार के इस क़दम का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन बुर्क़ा के ख़िलाफ़ किसी तरह के क़ानूनी आदेश का विरोध किया जाएगा।

हिन्दू सेना द्वारा गृह मंत्रालय को लिखा गया पत्र

हालाँकि, श्री लंका सरकार ने अपने प्रतिबन्ध वाले नोटिस में बुर्क़ा या नक़ाब शब्द का प्रयोग नहीं किया है।
राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन को अपने इस निर्णय पर फिलहाल कुछ मुस्लिम उलेमाओं का भी साथ मिला है। जमीयातुल उलेमा के प्रवक्ता फाजिल फ़ारूक़ ने कहा कि उन्होंने लोगों से बिना चेहरा ढके निकलने को कहा है। श्री लंका में क़रीब 10% मुस्लिम हैं। आपको बता दें कि श्री लंका के अलावा कैमरून, मोरक्को, चाड, ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, गाबोन, फ्रांस, बेल्जियम, डेनमार्क और उत्तर पश्चिम चीन के मुस्लिम बहुल प्रांत शिनजियांग में बुर्क़ा पहनने पर प्रतिबंध है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया