CM उद्धव को साबित करना ही होगा बहुमत: सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून को फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से किया इनकार, शिवसेना के काम न आई सिंघवी की दलीलें

सुप्रीम कोर्ट

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के जरिए बहुमत साबित करने के लिए कहा है, जिसके खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुँची है। पार्टी के चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने ये याचिका दायर की। कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बतौर अधिवक्ता उनकी पैरवी की। उनकी दलील थी कि बिना ये जाने वोटिंग कैसे कराई जा सकती है कि कौन इसके योग्य हैं और कौन नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि क्या फ्लोर टेस्ट के लिए कोई अवधि तय है, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि इसे 6 महीने के भीतर नहीं कराया जा सकता। सिंघवी ने कहा कि जिन लोगों को 21 जून को अयोग्य घोषित किया गया है, अगर स्पीकर के ऊपर निर्णय छोड़ दिया जाए तो वो उस दिन वोट नहीं दे सकेंगे। उन्होंने राज्यपाल र अतिरिक्त हड़बड़ी बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने 34 विधायकों द्वारा राज्यपाल को भेजे पत्र को पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से इसका अर्थ है कि वो अपनी सदस्यता खुद छोड़ रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि राज्यपाल का हर एक्शन कानूनी समीक्षा से गुजर सकता है। अभिषेक सिंघवी ने कहा कि क्या कल फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो आसमान गिर पड़ेगा? उन्होंने विधायकों की बगावत को कानून का उल्लंघन करार दिया। इधर उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट की बैठक बुलाई, जिसमें उन्होंने कहा उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट में कहा- “मुझ से कोई ग़लती हुई हो तो माफ़ी चाहता हूँ, सबके सहयोग के लिए आभार।” कैबिनेट ने औरंगाबाद का नाम “संभाजी नगर” रखने का भी निर्णय लिया।

हालाँकि, विपक्षी वकील ने कहा कि विधानसभा के फ्लोर से अच्छा बहुमत साबित करने की अच्छी जगह कौन होगी? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून को होने वाले फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया