कारसेवकों पर गोली चलाना सही फैसला, मुलायम सरकार सिर्फ अपना फर्ज निभा रही थी: प्राण-प्रतिष्ठा से पहले स्वामी प्रसाद मौर्या ने उगला जहर

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कारसेवकों बताया अराजक तत्व (फोटो साभार: स्वामी प्रसाद मौर्य फेसबुक अकाउंट)

समाजवादी पार्टी के नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य हिंदू धर्म को लेकर आपत्तिजनक बयान देते रहते हैं। अब वो कारसेवकों को लेकर दिए विवादित बयान के कारण सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने कारसेवकों को ‘अराजक तत्व’ कहा, तो तत्कालीन मुलायम सरकार के कदम को जायज ठहराया।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार द्वारा कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश को क्लीन चिट देते हुए कहा, “जिस समय अयोध्या में राम मंदिर पर घटना घटी थी। वहाँ पर बिना किसी न्यायपालिका के निर्देश के, बिना किसी प्रशासनिक आदेश के बड़े पैमाने पर अराजत तत्वों ने तोड़फोड़ की थी।”

उन्होंने आगे कहा, “तत्कालीन सरकार ने संविधान की रक्षा के लिए, कानून की रक्षा के लिए, अमन चैन कायम करने के लिए उस समय जो गोली चलवाई थी वो सरकार का अपना कर्तव्य था। सरकार ने अपना कर्तव्य निभाया था।”

बता दें, कि हाल ही में केंद्रीय मंत्री और आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल ने कहा था, “कारसेवकों पर सपा सरकार में गोली चलाई गई थी लेकिन सपा से कोई श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आना चाहे तो उसका स्वागत है।”

इसी बयान पर जब मौर्या से प्रतिक्रिया माँगी गई तो उन्होंने कहा, “एसपी सिंह बघेल हमारे बहुत अच्छे साथी रहे हैं। उस समय वह समाजवादी पार्टी में थे। जिस समय की वो बात कर रहे हैं वो भी समाजवादी पार्टी में थे। जिस समय अयोध्या वाला प्रकरण चला था। इसलिए उनको तो नहीं बोलना चाहिए।”

ये पहली बार नहीं है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ऐसा विवादित बयान दे रहे हैं। इससे पहले बीते साल ही रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था। वो ये भी कह चुके है कि हिंदू मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं।

बताते चलें कि आज से 33 साल पहले 1990 में तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव वाली समाजवादी पार्टी सरकार ने हनुमान गढ़ी कूच कर रहे कारसेवकों पर गोलियाँ चलवाई थी। उन दिनों राममंदिर निर्माण के लिए देशभर से लोग और साधु-संत अयोध्या जा रहे थे।

इसे देखते हुए प्रशासन ने वहाँ कर्फ्यू लगाया था। बाबरी मस्जिद के 1.5 किलोमीटर कर बैरिकेडिंग की गई थी। कारसेवकों की बेकाबू भीड़ पर 30 अक्टूबर 1990 को अंधाधुंध गोलियाँ चलाई गई थीं। साल 2013 में मुलायम सिंह यादव ने इन मौतों पर अफसोस जताते हुए कहा था कि उनके पास और कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने कारसेवा के नाम पर 11 लाख की भीड़ अयोध्या में इकट्ठा कर ली थी। देश की एकता के लिए गोलियाँ चलानी पड़ी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया