मैसूर एयरपोर्ट का रखो टीपू सुल्तान नाम: कर्नाटक में कॉन्ग्रेस MLA ने पेश किया प्रस्ताव, BJP नेताओं ने विरोध करते हुए कहा- वो हिंदुओं का आदर्श नहीं हो सकता

मैसूर एयरपोर्ट (बाएं) और टीपू सुल्तान (फोटो साभार : Times Now)

कर्नाटक में कॉन्ग्रेस पार्टी का टीपू सुल्तान से प्यार फिर उमड़ा है। कॉन्ग्रेस के विधायक ने मैसूर एयरपोर्ट का नाम टीपू सुल्तान के नाम पर रखने का प्रस्ताव विधानसभा में रखा है। इस प्रस्ताव को रखने वाले कॉन्ग्रेसी विधायक का नाम प्रसाद अब्बय्या। वो हुबली-धारवाड़ (पूर्व) सीट से विधायक है। विधानसभा में इस मामले पर बोलते हुए विधायक प्रसाद अब्बय्या ने कहा, “मैं मैसूर हवाई अड्डे का नाम टीपू सुल्तान हवाई अड्डे के नाम पर रखने का प्रस्ताव करता हूँ।”

प्रसाद अब्बय्या ने कई एयरपोर्ट्स के नाम को बदलने का प्रस्ताव रखा। प्रसाद ने आगे कहा, “अपने हुबली हवाई अड्डे के लिए हम इसका नाम संगोल्ली रायन्ना रखना चाहते हैं। हम बेलगावी हवाई अड्डे का नाम कित्तूर रानी चेन्नम्मा के नाम पर, शिवमोग्गा हवाई अड्डे का नाम राष्ट्रकवि कुवेम्पु के नाम पर और विजयपुर हवाई अड्डे का नाम जगज्योति बसवन्ना के नाम पर रखना चाहते हैं।” विधायक अब्बय्या ने कहा कि विधानसभा में सभी ने इन नामों का प्रस्ताव रखा। इस बारे में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया विशेष संज्ञान ले रहे हैं और केंद्र सरकार को सिफारिशें भेज रहे हैं।

इस प्रस्ताव का बीजेपी ने तीखा विरोध किया, जिससे दोनों पक्षों के बीच विधानसभा में बहस हो गई। बीजेपी नेताओं ने कहा कि टीपू सुल्तान हिंदुओं के लिए आदर्श कतई नहीं हो सकता। टीपू सुल्तान का व्यक्तित्व विवादास्पद रहा है। लोग उसे एक क्रूर शासक मानते हैं। इस प्रस्ताव ने टीपू सुल्तान के चरित्र और उनके शासनकाल के बारे में बहस को फिर से शुरू कर दिया है। टीपू सुल्तान के चरित्र और उनके शासनकाल के बारे में बहस और भी तेज हो सकती है। यह बहस कर्नाटक में राजनीतिक तनाव को बढ़ा सकती है।

बता दें कि जिस टीपू सुल्तान को कॉन्ग्रेस स्वतंत्रता सेनानी बताने में जुटी है उसकी क्रूरता इतिहास के पन्नों में साफ दर्ज हैं। कॉन्ग्रेस हमेशा टीपू का नाम ले लेकर चुनावी राजनीति करने की कोशिश करती है लेकिन क्या आप जानते हैं दूसरा पक्ष उसका विरोध क्यों करता है?

हिंदुओं पर अत्याचार के लिए कुख्यात टीपू सुल्तान

दरअसल टीपू सुल्तान को लेकर किताबों में ये बात कही जाती रही हैं कि उसने ब्राह्मणों और राजाओं की बेटियों को अपहरण करके उन्हें इस्लाम सिखवाने के लिए कैद करवा दिया था। उन महिलाओं को ये तक नहीं पता होता कि बाहर के जीवन में क्या चल रहा है और जीवन को कैसे जीते हैं। उसके हरम में 601 औरतें थी। इनमें 333 उसकी और 268 उसके अब्बा की थीं।

ईसाइयों पर भी टीपू सुल्तान आए दिन अत्याचार करता था। उसने हजारों ईसाईयों को कई वर्षों तक बंधक बना कर प्रताड़ित किया था। ‘Moon-o-theism, Volume II‘ में योएल नटन लिखते हैं कि एक बार तो उसने हजारों ईसाइयों को 338 किलोमीटर तक चलवाया, जिसमें 6 सप्ताह लगे। कई बीच में ही मर गए। अंत में उनमें से कई महिलाओं और लड़कियों को उसकी फौज में बाँटा गया।

19वीं सदी में ब्रिटिश सरकार के अधिकारी और लेखक विलियम लोगान ने अपनी किताब मालाबार मैनुएल में भी बताया है कि कैसे टीपू सुल्तान ने 30 हजार सैनिकों के साथ कालीकट में मंदिर और चर्चों को तुड़वा दिया था। हिंदुओं और ईसाइयों की मुस्लिमों से शादी करवाई थी।

इतना ही नहीं, ये भी कहा जाता है कि टीपू सुल्तान के राज्य में तीन हजार ब्राह्मणों ने इसलिए आत्महत्या कर ली थी क्योंकि वो उन्हें जबरन मुस्लिम बनाना चाहता था। टीपू पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने भारत में तबाही मचाने के लिए अफगानिस्तान के सुल्तान जमान शाह को बुलाया था। वह हिंदुओं के गाँव, महिलाओं और बच्चों सबको मारता था। लाखों हिंदू उसके अत्याचार का शिकार हो चुके हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया