वामपंथियों ने बहुत परेशान किया… त्रिपुरा के मुख्यमंत्री से ऑपइंडिया की बातचीत: कहा- हम सिखाएँगे मतभेद के बाद भी कैसे रहा जाता है

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ माणिक साहा के साथ वर्चुअल बातचीत

पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव अब कुछ ही महीने दूर हैं। मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा (Manik Saha) के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत सुनिश्चित करने की है। साहा पेशे से डेंटल सर्जन है और लोगों से जुड़े रहने के लिए जाने जाते हैं। भाजपा आलाकमान ने उन्हें राज्य में पार्टी को संकट के भंवर से निकालने के लिए रातोंरात राज्यसभा से बुला लिया था और मुख्यमंत्री बनाया था।

साहा राज्य सरकार के कर्मचारियों के बीच बढ़ती सत्ता विरोधी लहर और शिकायत से अच्छी तरह वाकिफ हैं। राज्य में कार्यभार सँभालने के बाद, साहा लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वह राज्य की जनता की भलाई के लिए नई नीतियाँ ला रहे हैं और कई योजनाओं की शुरुआत कर रहे हैं। आगामी चुनावों से पहले ऑपइंडिया ने रविवार (15 जनवरी 2023 ) रात मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा से सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों से उनके संवाद कार्यक्रम के दौरान उनसे बातचीत की ।   

प्रश्न : डॉ. साहा हमें समय देने के लिए शुक्रिया। आपने हाल ही में डीए/डीआर में 12% बढ़ोतरी की घोषणा की है, जिसका सीधा असर राज्य के 1.8 लाख कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर पड़ेगा। यह सराहनीय कदम है। यह एक तरह से राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक है। भले ही भाजपा मजबूत स्थिति में है, लेकिन हमने पार्टी के कुछ नेताओं को विपक्षी खेमे में जाते देखा है। क्या भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा इस तरह के अंतिम समय के विद्रोह से 2023 के चुनाव में पार्टी के राजनीतिक परिणाम पर असर पड़ेगा?

उत्तर : “यह एक ‘मेंढक की तरह का जीवन चक्र (toad cycle)’ है। पहले वे भाजपा में शामिल हुए, फिर तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) में, फिर कॉन्ग्रेस (Congress) में और फिर सीपीआईएम (CPIM) में शामिल हुए। राजनीति में कुछ सिद्धांत  होना चाहिए। जब अमित शाह जी धर्मनगर (उत्तर त्रिपुरा जिला) आए थे, तब आपने लोगों की भीड़ देखी थी। आपने ‘जन विश्वास रथ’ यात्रा के दौरान पश्चिम त्रिपुरा जिले में जेपी नड्डा जी को मिले भारी समर्थन को भी देखा था।”

उन्होंने आगे कहा, ”हमारे आउटरीच कार्यक्रम के माध्यम से लोग हमसे जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। हमने अपनी योजनाओं के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को छुआ है। लोग आ सकते हैं और जा सकते हैं लेकिन हम अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे। हमें विश्वास है कि कुछ नेताओं के दल-बदल का चुनावी नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। आपने उपचुनाव के नतीजे देखे हैं, जहाँ हमें 4 में से 3 सीटें मिली हैं। हमारे पास लोगों का समर्थन है।”

प्रश्न: हाल के दिनों में प्रमुख चिंताओं में से एक त्रिपुरा में बढ़ती बंगाली विरोधी भावना है, जो तिपराहा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन (TIPRA) की वजह से बढ़ी है। स्थानीय लोग यहाँ अपने  लिए एक अलग मातृभूमि की माँग कर रहे है। त्रिपुरा ने अतीत में बंगालियों और जनजातीय समुदायों के बीच घातक जातीय संघर्ष को देखा है। हम उन दिनों से आगे निकल चुके हैं और राज्य में जातीय सद्भाव बनाए रखने में सक्षम हैं। एक मुख्यमंत्री के रूप में आप स्थानीय लोगों का विश्वास जीतने, बढ़ते तनाव को कम करने और राज्य में सद्भाव बनाए रखने की योजना कैसे बनाते हैं?

उत्तर : त्रिपुरा में पिछले सत्तारूढ़ शासन, चाहे वह कॉन्ग्रेस हो या वामपंथी, ने जनजातीय समुदाय का शोषण किया था और उन्हें वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया था। हाँ, मैं कुछ स्थानीय लोगों के बीच बढ़ती बंगाली विरोधी भावना से अवगत हूँ, जिसे निहित स्वार्थ की वजह से कुछ लोगों ने बढ़ावा दिया है। मैंने हाल ही में स्वायत्त जिला परिषद (ADC) के तहत आने वाले खुमुलुंग में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। एक महिला मेरे पास आई और मुझसे कहा कि यह पहली बार था जब उसने समावेशिता की भावना महसूस की। हाँ, इस खाई को पाटने के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। हमें संचार के बेहतर माध्यमों की आवश्यकता है और कुछ दिनों में इस संबंध में कुछ ठोस किया जाएगा। यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है ताकि स्थानीय लोग उपेक्षित महसूस न करें।”

सत्र के दौरान, डॉ माणिक साहा ने यह भी बताया कि भाजपा द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने के लिए बुलाए जाने से पहले वह केवल तीन दिन ही राज्यसभा के सदस्य रहे थे। उन्होंने कहा कि फैसले से 30 मिनट पहले भी उन्हें  नहीं पता था कि वह मुख्यमंत्री बनने जा रहा हैं। बकौल साहा, उन्होंने विभिन्न क्षमताओं में पार्टी की सेवा की है और जो भी काम उन्हें सौंपा गया, उसे पूरी ईमानदारी के साथ किया है।

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि कैसे उन्हें वामपंथी शासन ने परेशान किया था और उन्हें अदालत में लड़ने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा, “मैं प्रतिशोध की राजनीति से घृणा करता हूँ। अगर विपक्ष में से कोई भी कोई अनुरोध करता है या कोई समस्या उठाता है, तो मैं इसे पूरी गंभीरता से लेता हूँ।”

हमारे पूछे जाने पर कि विरोधी पार्टियाँ ऐसा बर्ताव नहीं करतीं, इस पर डॉ साहा ने कहा- “कोई बात नहीं। जब तक मैं सत्ता में हूँ। मैं बताऊँगा कि राजनैतिक मतभेद होने के बाद भी किस तरह ढंग से बर्ताव किया जा सकता है।”

उन्होंने उन हाइवे, इंटरनेट, रेलवे और एयरपोर्ट के मुद्दों पर भी बात की, जिनका वादा पीएम मोदी ने त्रिपुरा की जनता से 2018 में किया। आज त्रिपुरा कनेक्टिविटी, हाई स्पीड नेट, रेलवे नेटवर्क को लेकर एक बहुत अच्छी स्थिति में है।

नया एयरपोर्ट टर्मिनल (तस्वीर साभार: दिबाकर दत्ता/OpIndia)

उल्लेखनीय है कि इससे पहले ऑपइंडिया ने यह भी बताया था कि कैसे डीए/डीआर में 12% की बढ़ोतरी त्रिपुरा बीजेपी के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकती है जबकि लेफ्ट, टीएमसी या कॉन्ग्रेस बेहतर विकल्प का वादा करने में विफल रही है।

अपनी बात खत्म करते हुए डॉ मणिक ने कहा कि उनकी सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट पर लगे कर्मचारियों और पार्ट टाइम वर्करों की दिहाड़ी दोगुनी कर दी है। ऐसी शुरुआत की जिससे युवाओं को खेल के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने बताया कि कैसे उनका सपना था कि एक डेंटल कॉलेज शुरू हो, जो कि भाजपा की डबल इंजन सरकार में संभव हुआ।

Dibakar Dutta: Centre-Right. Political analyst. Assistant Editor @Opindia. Reach me at dibakar@opindia.com